Delhi में हर साल 'दमघोंटू' साब‍ित होता है नवंबर, अब पराली के मामले भी कम, क्‍या घटेगा Pollution?

Delhi में हर साल 'दमघोंटू' साब‍ित होता है नवंबर, अब पराली के मामले भी कम, क्‍या घटेगा Pollution?

Delhi Pollution: दिल्ली में नवंबर का महीना हर साल प्रदूषण के लिहाज से सबसे खराब साबित होता है. इस बार पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, लेकिन अक्‍टूबर में बढ़ा हुआ प्रदूषण एक बार फिर इसके नवंबर में दमघोंटू बनने का संकेत दे रहा है. देखें क्‍या कहते हैं पुराने आंकड़े...

Delhi pollution 2025Delhi pollution 2025
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Nov 01, 2025,
  • Updated Nov 01, 2025, 6:43 PM IST

नवंबर की शुरुआत से पहले ही एक बार फिर, दिल्ली वायु गुणवत्ता के बिगड़ने के खतरे से जूझती दिखी. अक्टूबर की धुंध अब नवंबर में जल्द ही धुंध के आवरण में बदल सकती है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े नवंबर में प्रदूषण की चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं. पिछले दस वर्षों से नवंबर लगातार दिल्ली और आसपास के शहरों में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला महीना रहा है. 2016 और 2024 दोनों में AQI का मासिक औसत 374 था, जिसे आधिकारिक तौर पर "बहुत खराब" श्रेणी में रखा गया है.

यहां तक कि कोविड महामारी के दौरान भी, जब भारत का अधिकांश भाग ठहर गया था, नवंबर खराब वायु गुणवत्ता के मामले में अपने संदिग्ध रिकॉर्ड पर कायम रहा. 2020 में AQI 328 था और 2021 में बढ़कर 377 हो गया, जो इस दशक में सबसे अधिक है. पिछले एक दशक में, नवंबर में दिल्ली की वायु गुणवत्ता छह वर्षों में सबसे खराब रही है. वास्तव में, नवंबर में महीने का औसत AQI कभी भी 300 से नीचे नहीं गया है.

प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई उपाय

इस वर्ष बिगड़ती वायु गुणवत्ता से निपटने की केा प्रयास में, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने घोषणा की है कि 1 नवंबर से, दिल्ली के बाहर पंजीकृत और BS-VI उत्सर्जन मानदंडों का पालन न करने वाले वाणिज्यिक मालवाहक वाहनों को राजधानी में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा.

यह अक्टूबर में देखे गए चिंताजनक AQI स्तरों के बाद आया है. इसके अलावा, निर्माण धूल को नियंत्रित करने, औद्योगिक उत्सर्जन को सीमित करने और डीजल जनरेटर के उपयोग को सीमित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत उपाय लागू किए जा रहे हैं.

पराली जलाने का पीक टाइम

दिल्ली में स्मॉग के मौसम का एक कारण शहर की सीमाओं के बाहर भी होता है. CREAMS-IARI के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में अक्टूबर के अंत और नवंबर के बीच पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं. 2023 में, पंजाब में अक्टूबर में 7,459 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो नवंबर में बढ़कर 28,990 हो गईं.

पराली आग के मामले घटे

हालांकि, हरियाणा में अक्टूबर में 1,122 और नवंबर में 1,106 घटनाओं के साथ थोड़ा बदलाव देखा गया, जो दर्शाता है कि इस अवधि के दौरान पराली जलाने की घटनाएं स्थिर रहीं. 2024 में पराली जलाने की घटनाओं में तेज़ी से कमी आई और इस साल अब तक अपेक्षाकृत कम रही हैं. खेतों में आग लगने की घटनाओं में कुछ राहत के बावजूद, अक्टूबर 2024 में दिल्ली का औसत AQI 234 रहा, जो नवंबर में बढ़कर 374 हो गया. 

साल अलग, प्रदूषण जस का तस

इस साल भी स्थिति कुछ अलग नहीं दिख रही है. अक्टूबर में पहले ही कई दिन AQI का स्तर "बेहद खराब" श्रेणी में दर्ज किया जा चुका है. अगर यही सिलसिला जारी रहा, तो दिल्ली एक और दमघोंटू नवंबर की ओर बढ़ सकती है. (प्रतीक सचान की रिपोर्ट)

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