सावन का महिना चल रहा है. लोग भगवान शिव को खुश करने के लिए कई तरह के पकवान और मिठाई घर पर ही तैयार कर रहे हैं. वहीं सोमवार को विशेष रूप से भगवान को भोग चढ़ाया जाता है. ऐसे में खोवा और मेवों का इस्तेमाल अधिक बढ़ गया है. ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए इसमें मिलावट किया जाता है. मिठाइयों में चल रही मिलावट के कारण लोग मावा खरीदना पसंद करते हैं लेकिन, अब यह मावा (नकली मावा) भी साफ नहीं रह गया है. जी हां, बाजार में मावा की बढ़ती मांग के कारण अब इसमें भी केमिकल, डिटर्जेंट और रिफाइंड की मिलावट होने लगी है. इसे खुशबूदार बनाने के लिए इसमें कई तरह के एसेंस मिलाए जा रहे हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं.
जब इस मावे से मिठाइयाँ बनाई जाती हैं तो यह कोलेस्ट्रोल तक बढ़ा देता है. जागरुकता की कमी के कारण लोग इस मावा को असली समझकर खरीद लेते हैं. इसमें सेहत के साथ-साथ पैसे भी ज्यादा खर्च होते हैं, इसलिए बाजार से मावा खरीदने की बजाय इसे घर पर ही बनाएं. अगर आपको बाजार से मावा खरीदना है तो इन बातों का ध्यान रखें. इससे नकली मावा को पहचानने में मदद मिलेगी.
बाजार में मावा की मांग को पूरा करने के लिए चूना, चाक और यहां तक कि सफेद रसायन मिलाकर भी मावा बनाया जा रहा है. कई लोग पुराने एक्सपायर्ड मिल्क पाउडर से ही मावा बनाते हैं. इसे बनाने के लिए दूध और पानी में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया गुणवत्ता के वनस्पति घी की मिलावट की जा रही है.
वहीं मावा के लिए सिंथेटिक दूध का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो यूरिया, वाशिंग पाउडर, रिफाइंड ऑयल और पानी को मिलाकर तैयार किया जाता है. कई लोग मावा में सिंघाड़े का आटा, मैदा या आलू मिलाकर इसकी मात्रा बढ़ा देते हैं. इससे दुकानदारों को तो मुनाफा हो जाता है, लेकिन जो ग्राहक यह खराब मावा खाता है, उसे सेहत और पैसा दोनों खर्च करना पड़ता है.
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