Anna Hazare Birthday: जब अन्ना हजारे ने बनाया अनोखा अनाज बैंक, सूखे खेतों तक पहुंचाया पानी

Anna Hazare Birthday: जब अन्ना हजारे ने बनाया अनोखा अनाज बैंक, सूखे खेतों तक पहुंचाया पानी

महाराष्ट्र के सूखा प्रभाव‍ित अहमनगर ज‍िले के रालेगण सिद्धि गांव में समाजसेवी अन्ना हजारे ने क्यों बनाया बीज बैंक. कैसे हुआ इससे लोगों को फायदा. पानी की क‍िल्लत से जूझ रहे खेतों तक कैसे पहुंचाया गया पानी. अन्ना की कोश‍िश ने कैसे बदली क‍िसानों की ज‍िंदगी. जानें पूरी कहानी-

आज है समाजसेवी अन्ना हजारे का जन्मदिन आज है समाजसेवी अन्ना हजारे का जन्मदिन
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Jun 15, 2023,
  • Updated Jun 15, 2023, 11:52 AM IST

समाजसेवी अन्ना हजारे को लोग भ्रष्टाचार के ख‍िलाफ लड़ने वाले शख्स के तौर पर ही जानते हैं. लेक‍िन, कम ही लोगों को पता होगा क‍ि उन्होंने खेती-क‍िसानी के ल‍िए अहम योगदान द‍िया है. 15 जून 1937 को पैदा हुए अन्ना हजारे महाराष्ट्र के अहमदनगर से आते हैं जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है. उनका गांव रालेगण सिद्धि इसी ज‍िले में है. उन्होंने क‍िसानों की परेशान‍ियों को बहुत नजदीक से देखा है. इसील‍िए उन्होंने 1980 में, सूखे या फसल की विफलता के समय जरूरतमंद किसानों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से मंदिर में अनाज बैंक की शुरुआत की थी. 

इस बीज बैंक में धनी किसान या अध‍िक अनाज उत्पादन वाले लोग दान कर सकते थे. जरूरत के समय, किसान अनाज उधार ले सकते थे, लेकिन ऐसी व्यवस्था थी क‍ि उन्हें उधार लिया गया अनाज और एक अतिरिक्त क्विंटल ब्याज के रूप में वापस करना पड़ता था. यह कोश‍िश रंग लाई. इसके जर‍िए यह कोश‍िश की गई क‍ि गांव में कोई भी व्यक्ति कभी भूखा न रहे या अनाज खरीदने के लिए उसे पैसे उधार न लेने पड़े. इसने फसल पैदा होने के समय कम कीमतों पर अनाज बिक्री करने की प्रथा को भी रोक द‍िया. फसल और दूध को अच्छी कीमत मिले और क‍िसानों-पशुपालकों को नुकसान न हो, इसके ल‍िए यहां न स‍िर्फ अनाज बल्क‍ि दूध बैंक भी है. 

खेतों तक कैसे पहुंचाया पानी 

महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां के क‍िसान पानी की क‍िल्लत का सामना करते रहे हैं. इसल‍िए अन्ना का गांव भी इससे अछूता नहीं था. रालेगण सिद्धि तलहटी में स्थित है, इसलिए हजारे ने अपने गांव वालों को वाटरशेड तटबंध बनाने और पानी को रोकने के लिए काम करने को राजी कर ल‍िया. इसे भूमिगत जल स्तर बढ़ा और इस सूखे क्षेत्र में सिंचाई सुव‍िधा में सुधार हुआ. इस प्रयास से गांव में पानी की कमी की समस्या दूर हुई. सिंचाई के ल‍िए पानी म‍िलने लगा. बताया जाता है क‍ि जब हजारे ने रालेगण सिद्धि गांव में यह कोश‍िश शुरू की तो वहां केवल 70 एकड़ भूमि सिंचित थी, हजारे की कोश‍िश से ऐसी जमीन बढ़कर 2500 एकड़ हो गई.  बताया गया है क‍ि रालेगण सिद्धि में खेती के ल‍िए अब पर्याप्त पानी है. क‍िसान फसल की अच्छी पैदावार ले रहे हैं. 

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कामयाब हुई वाटर शेड तकनीक 

इस तरह अन्ना की पहचान भले ही भ्रष्टाचार के ख‍िलाफ लड़ने वाले समाजसेवी के तौर पर हो लेक‍िन खेती-क‍िसानी के ल‍िए भी उनका योगदान कम नहीं है. दावा है क‍ि हजारे ने 1975 से महाराष्ट्र राज्य में सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 70 से अधिक गांवों के किसानों की पानी से मदद की. बताया जाता है क‍ि सन 1975 में रालेगण सिद्धि में अकाल पड़ा था. जिस डैम से वहां पानी की आपूर्त‍ि होती थी उसकी दीवार में दरार पड़ गई थी. सरकार के ढुलमुल रवैये से परेशान होकर अन्ना ने गांव वालों की सहायता से पानी के सोर्स को फिर जीवित करवाया. ऐसा वाटर शेड यानी जल विभाजन तकनीक से संभव हुआ.

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