अर्थव्यवस्था में तमाम उतार-चढ़ावों के बीच एक अच्छी खबर है. और ये अच्छी खबर कृषि और खेती-किसानी से जुड़ी है. अर्थव्यवस्था में जहां और सेक्टर की वजह से सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP कम होने की आशंका है. वहीं खेती-किसानी जीडीपी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती है. जीडीपी पर आधारित एक अनुमान के मुताबिक, कृषि सेक्टर की ग्रोथ में लगभग तीन गुना इजाफा हो सकता है जो कि बहुत अच्छा संकेत है. ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (GVA) के टर्म में देखें तो 2024 में कृषि सेक्टर का जीवीए 1.4 था जो 2025 में बढ़कर 3.8 तक जा सकता है.
इस तेजी के लिए इस बार के अच्छे मॉनसून को वजह माना जा रहा है. इस बार मॉनसून की बारिश अच्छी रही जिससे खरीफ फसलों की बेहतर पैदावार हुई और रबी फसलों की बुवाई में तेजी देखी गई. उसी मॉनसून का नतीजा है कि रबी फसलों की बुवाई लगातार बढ़ रही है. अच्छी बारिश से मिट्टी में नमी की मात्रा अच्छी है जिससे फसलों की बुवाई में तेजी दर्ज की जा रही है.
पिछले वित्त वर्ष में कृषि सेक्टर की ग्रोथ इसलिए कम रही क्योंकि मॉनसूनी बारिश कम थी. बारिश की कमी से खेती प्रभावित हुई और पैदावार में कमी दर्ज की गई. इसके अलावा, गर्मी का सीजन अधिक दिनों तक रहा, लू और तापमान में बढ़ोतरी का असर कई फसलों पर देखा गया. कुल मिलाकर इन सभी कारणों ने कृषि सेक्टर की ग्रोथ को प्रभावित किया.
इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि कृषि क्षेत्र की ग्रोथ बढ़ने से महंगाई कम रखने में मदद मिलेगी. महंगाई कम होगी तो खपत (कंजम्पशन) बढ़ेगी जिससे बाजार के साथ साथ पूरी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. ये सभी संकेत इस बार के अच्छे मॉनसून को देखते हुए सामने आ रहे हैं. बीते साल सितंबर महीने में विदा हुए मॉनसून ने लगभग 8 फीसदी सरप्लस बारिश दिए थे जो कि बीते तीन साल में सबसे अधिक है.
जून से सितंबर के दौरान देश में 935 मिमी बारिश होने का अनुमान है, जो सामान्य 870 मिमी से 8 प्रतिशत अधिक है. इससे खरीफ चावल उत्पादन (जुलाई से जून) लगभग 1200 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल इसी सीजन की तुलना में 5.9 प्रतिशत अधिक है. आंकड़ों से पता चलता है कि मक्का जो कि प्रमुख खरीफ अनाजों में एक है, उसका उत्पादन पिछले सीजन से लगभग 10.3 प्रतिशत बढ़कर लगभग 240 लाख टन होने की उम्मीद है.
हालांकि, उड़द उत्पादन में गिरावट के कारण दालों का उत्पादन लगभग 61 लाख टन रहने की उम्मीद है. कुल मिलाकर, 2024 खरीफ सीजन में खाद्यान्न उत्पादन 1640 लाख टन के सबसे बड़े स्तर को छूने का अनुमान है, जो पिछले खरीफ की तुलना में 5.7 प्रतिशत अधिक है. अच्छे मॉनसून और अनाज को मिलने वाली बेहतर कीमतों ने भी रबी की बुवाई को बढ़ावा दिया है.
3 जनवरी तक, प्रमुख रबी फसल गेहूं की बुवाई लगभग 320 लाख हेक्टेयर में पूरी हो चुकी है, जो 2024 की तुलना में 1.74 प्रतिशत अधिक और सामान्य रकबे से 2.4 प्रतिशत अधिक है. अन्य फसलों में, सरसों की बुवाई 2024 की तुलना में 5 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में गिरावट के साथ समाप्त हुई है और चने का रकबा पिछले साल की तुलना में अधिक है, लेकिन पांच साल के औसत से कम है.