Agri Quiz: किस मसाले की किस्म है राजेंद्र सोनिया, इसकी उन्नत वैरायटी और खेती की पढ़ें डिटेल्स

Agri Quiz: किस मसाले की किस्म है राजेंद्र सोनिया, इसकी उन्नत वैरायटी और खेती की पढ़ें डिटेल्स

कई फसलें अपने अनोखे गुणों के लिए तो कई अपने स्वाद और खास पहचान के लिए जानी जाती हैं. ऐसी है एक मसाला फसल है जिसकी वैरायटी का नाम राजेंद्र सोनिया है. इस किस्म की खेती करके किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में.

किस मसाले की किस्म है राजेंद्र सोनियाकिस मसाले की किस्म है राजेंद्र सोनिया
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Aug 04, 2024,
  • Updated Aug 04, 2024, 10:45 AM IST

भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा देश है. भारत में अलग-अलग मसाला फसलें अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने औषधीय गुणों के लिए तो कई अपने स्वाद और क्वालिटी के लिए जानी जाती हैं. ऐसी है एक मसाला फसल है जिसकी वैरायटी का नाम है राजेंद्र सोनिया. दरअसल, ये हल्दी की एक खास किस्म है. मसाला वाली फसलों में हल्दी एक महत्वपूर्ण फसल है. वहीं, हल्दी का इस्तेमाल सब्जी, आयुर्वेदिक औषधि, सौंदर्य प्रसाधन की चीजों को बनाने में किया जाता है. हल्दी की खेती भारत के कुछ राज्यों में प्रमुख रूप से की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी उन्नत वैरायटी और खेती के बारे में.

हल्दी की तीन उन्नत वैरायटी

राजेंद्र सोनिया: हल्दी की राजेंद्र सोनिया किस्म औषधीय गुणों से भरपूर है. इस किस्म का उपयोग सुगंधित सामानों को बनाने के रूप से भी किया जा रहा  है. राजेंद्र सोनिया को तैयार होने में 195 से 210 दिन तक का समय लगता है. इस किस्म से प्रति एकड़ लगभग 160 से 180 क्विंटल उपज मिल सकती है. राजेन्द्र सोनिया इस किस्म के पौधे छोटे यानी 60-80 सेमी होता है.

सोरमा: हल्दी की इस किस्म के कंद अंदर से नारंगी रंग के होते हैं. इस किस्म को खुदाई के लिए तैयार होने में 210 दिन लगता है. इससे प्राप्त होने वाली उपज की बात करें तो इस किस्म से प्रति एकड़ करीब 80 से 90 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है.

पीतांबर: हल्दी की इस किस्म को केंद्रीय औषधीय और सुगंध अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. हल्दी की इस किस्म की ये खासियत है कि ये सामान्य किस्मों से दो महीने पहले यानी 5 से 6 महीने में ही तैयार हो जाती है. इस किस्म में कीटों का ज्यादा असर नहीं पड़ता ऐसे में अच्छी पैदावार होती है. एक हेक्टेयर में 650 क्विंटल तक पैदावार हो जाती है.

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खेती के लिए ऐसे करें तैयारी

हल्दी की अधिक उपज के लिए जीवांश जल निकासी वाली बलुई दोमट से हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. हल्दी की खेती में उसके गांठ जमीन के अंदर बनते है इसलिए दो बार मिट्टी पलटने वाले हल से और तीन से चार बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करें. इसके बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरी और समतल बना लें.

हल्दी की खेती करने की विधि

हल्दी की बुवाई अप्रैल के अंतिम पखवाड़े से लेकर अगस्त के प्रथम सप्ताह तक होती है. हल्दी के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. यदि जमीन का पीएच 8 से 9 भी है तब भी उसमें हल्दी की खेती हो जाती है. हल्दी की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल बीज लगती है. हल्दी की खेती में एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 20 से 35 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. बुवाई के समय हल्दी के लिए प्रति हेक्टेयर 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 80 किलोग्राम पोटाश और इतनी ही मात्रा साड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए.

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