गेहूं की बुवाई के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन करें. इन किस्मों में राज 3765, जी.डब्ल्यू-190, एच.आई-8713, राज. 4037, राज. 4120, राज. 3777 अच्छा माना जाता है. गेहूं की फसल में कैंडुआ रोग की रोकथाम के लिए बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम या थाइरम 2.5 ग्राम/किग्रा की दर से उपचारित करना चाहिए. बीज दर के अनुसार बीजोपचार करें. गेहूं की बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करें. गेहूं में 120:50:40 एनपीके की दर से उर्वरक डालें. बुवाई के समय आधार मात्रा के रूप में नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा डालें.
यह समय धनिया, जीरा, मेथी और इसबगोल की बुआई के लिए भी उपयुक्त है. धनिये की उन्नत किस्म आर.सी.आर. 20, आर.सी.आर. 41, आर.सी.आर. 435, आर.सी.आर. धनिये की 436 उन्नत किस्में हैं. इसे नवंबर के महीने में बोया जा सकता है.
1 से 15 नवंबर तक अलसी की फसल की बुआई करके अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है. इसके लिए सीमित सिंचाई की स्थिति में इसकी उन्नत किस्मों जैसे नीलम, प्रताप अलसी आदि का चयन किया जा सकता है. अलसी एक बहुमूल्य तिलहन फसल है जिसका उपयोग कई उद्योगों के साथ-साथ दवाएँ बनाने में भी किया जाता है. अलसी के हर भाग को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अलग-अलग रूप में उपयोग किया जा सकता है. अलसी के बीजों से निकलने वाला तेल आमतौर पर भोजन के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है बल्कि दवाएँ बनाने में उपयोग किया जाता है.
टमाटर एवं फूलगोभी की पछेती किस्मों की रोपाई नवंबर में करें. रोपण से पहले खेत में 20-25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद और 120:100:60 किलोग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस पोटाश प्रति हेक्टेयर जमीन में मिला दें. टमाटर की खेती और व्यावसायिक उपयोग भी किया जाता है. सब्जियों और सलाद के अलावा टमाटर का उपयोग सॉस बनाने में भी किया जाता है और खाया जाता है. यदि कोई किसान नियमित रूप से टमाटर की खेती करता है, तो उसके लिए बेहतर है.
जौ की बुवाई के लिए आरडी-2052, आरडी. 2552, रोड. 2503, आरडी- 2715 आदि उन्नत किस्में हैं. इसकी बुवाई इसी महीने की जा सकती है. जौ की फसल को दीमक के हमले से बचाने के लिए बीजों को प्रीप्रोनिल 5 एससी से उपचारित करें. बीज को 6 मिलीलीटर या क्लॉथियानिडिन 50 डब्लू डिजी 1.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोयें.
गाजर की बुवाई के लिए नवम्बर माह सर्वोत्तम है. इसकी उन्नत किस्मों की बुआई करें. गाजर की उन्नत किस्मों में चैंटनी, नैनटिस, सेलेक्शन नंबर 223, पूसा रुधिर, पूसा मेघाली, पूसा जमदग्नि किस्में शामिल हैं. इस किस्म की बुआई नवंबर माह में की जा सकती है.
मटर की बुआई ख़रीफ़ फसल की कटाई के आधार पर मध्य अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है. फिर भी बुआई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक है. बीज दर, दूरी और बुआई - बीज के आकार और बुआई के समय के आधार पर बीज दर भिन्न हो सकती है. समय पर बुआई हेतु 70-80 कि.ग्रा. मटर की उन्नत किस्में पूसा प्रभात, पूसा प्रगति और पूसा पन्ना हैं.