Photos: होली में भूलकर भी ना जलाएं इन पेड़ों की लकड़ियां, हो सकता है बुरा असर

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Photos: होली में भूलकर भी ना जलाएं इन पेड़ों की लकड़ियां, हो सकता है बुरा असर

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25 मार्च को खेली जाएगी होली

होली का त्यौहार जल्द ही आने वाला है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च को है और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी. होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन की कहानी भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और राक्षसी होलिका से संबंधित है. 

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होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है

होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन से कुछ दिन पहले लकड़ियों को एक जगह इकट्ठा किया जाता है, जिसके बाद होली से एक दिन पहले विधि-विधान से पूजा करने के बाद होलिका दहन किया जाता है. हालांकि, होलिका दहन के लिए लकड़ी का चयन बहुत सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि कुछ पेड़ ऐसे भी हैं जिनका उपयोग होलिका दहन में नहीं किया जाता है. 

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इन पेड़ों की लकड़ी का उपयोग ना करें!

होलिका के दौरान इन पेड़ों की लकड़ी का उपयोग करना शुभ नहीं होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि होलिका दहन में किन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

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इन पेड़ों को हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है

आपको बता दें होलिका दहन में पीपल, शमी, आम, आंवला, नीम, केली, अशोक और बेल के पेड़ की लकड़ी का उपयोग नहीं करना चाहिए. इन पेड़ों को हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है, इसलिए होलिका दहन में इन पेड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही होलिका दहन में हरे पेड़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए. हरे पेड़ों को जलने में दिक्कत होती है. इसलिए हमेशा सुखी लकड़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए. 

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इन पेड़ों की लकड़ियों का करें इस्तेमाल

होलिका दहन में सूखे पेड़ की शाखाओं का उपयोग करना उचित रहता है. इसके अलावा अरंडी और गूलर के पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जा सकता है. सनातन धर्म में गूलर के पेड़ को भी शुभ माना जाता है, लेकिन इस मौसम में गूलर के पेड़ की पत्तियां झड़ने लगती हैं. ऐसे में अगर इन पेड़ों की शाखाओं को न जलाया जाए तो इनमें कीड़े लगना शुरू हो जाते हैं.

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गाय के गोबर से बने उपलों का करें उपयोग

होलिका दहन में गाय के गोबर से बने उपलों का उपयोग अवश्य करें, क्योंकि पूजा में गाय के गोबर का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है. इसके अलावा होलिका में कंडों का प्रयोग करने से वातावरण भी शुद्ध रहता है.
 

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होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन में लकड़ी और उपलों के अलावा आप खरपतवार भी जला सकते हैं. इसके कई फायदे हैं. एक तो अनावश्यक हरे पेड़ नहीं काटने पड़ेंगे और दूसरे होलिका में खरपतवार जलाने से आसपास का वातावरण भी शुद्ध हो जायेगा.