केंद्र सरकार ने खेती की लागत में लाकर खेती काे सुगम और सस्ता बनाने के लिए कारगर कदम उठाए हैं. इस दिशा में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का भी सहारा लिया जा रहा है. किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों से लैस करने की दिशा में कारगर कदम उठाते हुए सरकार ने रियायती दरों पर किसानों को फार्म मशीनरी की सुविधा देने की परियोजना के तहत समूह में खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया है. इसके लिए सरकार किसानों के कृषि उत्पाद समूहों यानी FPO एवं स्वयं सहायता समूहों यानी SHGs से जुड़ने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश दौरे पर आए केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री मनसुख मांडविया ने यूपी में कृषि विभाग की किसान कल्याण से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि किसानों को खेती में तकनीक का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करना चाहिए. इसमें ड्रोन का इस्तेमाल भी शामिल है.
मांडविया ने कहा कि किसानों को फसलों पर दवाओं के छिड़काव पर भारी व्यय करना पड़ता है. मौजूदा तरीकाें से उर्वरक एवं दवाओं का छिड़काव करने में समय और पैसे की बर्बादी से कृषि लागत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि किसानों को बेहद कम समय में कम कीमत पर दवाओं का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित किया है. लघु एवं सीमांत किसानों को भी ड्रोन तकनीक का लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार इसे समूह में इस्तेमाल करने को बढ़ावा दे रही है.
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मांडविया ने यूपी में खेती को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य के किसानों को तकनीकी सहयोग मिलने में आ रही बाधाएं दूर हुई हैं. बैठक में यूपी के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने खेती में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने सहित किसान कल्याण के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी.
मांडविया ने कहा कि बीते कुछ दशकों में उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन की सेहत बहुत नाजुक हो गई है. मिट्टी में नाइट्रोजन, जिंक, सल्फर और बोरॉन जैसे जरूरी तत्वों की कमी को देखते हुए उन्हों किसानों से वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने की भी अपील की. मांडविया ने कहा कि ऐसा करने से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि मिट्टी की सेहत भी दुरुस्त होगी. इससे किसानों की आय बढ़ना भी तय है.
उन्होंने कहा कि पीएम प्रणाम योजना के अन्तर्गत किसानें को उर्वरक पर मिलने वाली सब्सिडी में जो बचत होगी, उस धनराशि की आधी राशि, राज्य सरकारों को किसान हितैषी योजनाओं के लिए दी जाएगी.
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मांडविया ने कहा कि रसायन मुक्त खेती न केवल किसान परिवारों के लिए बल्कि शहरी आबादी के लिए भी सेहतमंद खाद्यान्न मुहैया कराने का प्रकल्प बन कर उभरी है. उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से उपजे अन्न के बजाए प्राकृतिक खेती से उपजे खाद्यान्न की मांग लगातार बढ़ रही है. इसके मद्देनजर किसानों को अब प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर देने का समय आ गया है.
उन्होंने कहा कि विषमुक्त प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने को लेकर यूपी सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान सराहनीय हैं. मांडविया ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप यूपी में प्राकृतिक खेती का दायरा लगातार बढ़ रहा है. इसे अपनाने वाले किसान अब रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जैसे यूरिया के स्थान पर सल्फर कोटेड (गोल्ड यूरिया), नैनो तरल यूरिया तथा डीएपी के स्थान पर नैनो डीएपी आदि का इस्तेमाल यूपी अब होने लगा है. उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. इस बारे में किसानों को भी जागरूक करने की जरूरत है.