Agriculture News: कृषि में आत्मनिर्भरता की जंग: सीमा शुल्क बढ़ाओ, भारत बचाओ!

Agriculture News: कृषि में आत्मनिर्भरता की जंग: सीमा शुल्क बढ़ाओ, भारत बचाओ!

चीनी आयात के कारण भारतीय कृषि रसायन उद्योग को हो रहे नुकसान के आधार पर, इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि कैसे सीमा शुल्क बढ़ाकर ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूत किया जा सकता है.

The growing dominance of agrochemicalsThe growing dominance of agrochemicals
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jun 16, 2025,
  • Updated Jun 16, 2025, 12:32 PM IST

क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CCFI) भारत का सबसे पुराना और शीर्ष व्यापार संगठन है, जिसमें देश के 50 से अधिक प्रमुख निर्माता शामिल हैं. ये निर्माता मुख्य रूप से कृषि रसायन (एग्रोकेमिकल्स), उर्वरक और बीज जैसे कृषि इनपुट्स का उत्पादन करते हैं. सीसीएफआई का मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना है, जिसके लिए यह संगठन वर्षों से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत कार्य कर रहा है.

भारत में एग्रोकेमिकल्स का बढ़ता दबदबा

भारत का कृषि रसायन उद्योग अब वैश्विक स्तर पर मजबूती से उभर रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 में इस उद्योग ने 22,147 करोड़ रुपये का व्यापार अधिशेष दर्ज किया, जो मुख्य रूप से स्वदेशी निर्माण और जेनेरिक उत्पादों के निर्यात के कारण संभव हुआ. वर्ष 2022-23 में भारत ने लगभग 45,000 करोड़ रुपये के कृषि रसायन का निर्यात किया, जिससे यह साफ होता है कि भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है.

सस्ती चीन आयात से देशी उद्योग संकट में

हालांकि भारत का एग्रोकेमिकल उद्योग प्रगति कर रहा है, फिर भी चीन और अन्य देशों से हो रहे सस्ते आयातों ने स्वदेशी निर्माताओं की स्थिति को कमजोर कर दिया है. आयातित तैयार उत्पादों और तकनीकी ग्रेड रसायनों पर कम सीमा शुल्क के कारण भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमताओं पर असर पड़ा है. इससे उन कंपनियों को नुकसान हो रहा है, जिन्होंने भारत में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.

सीमा शुल्क बढ़ाने की ज़रूरत

सीसीएफआई ने सरकार से मांग की है कि तैयार फार्मूलेशन उत्पादों पर 30% और तकनीकी ग्रेड रसायनों पर 20% सीमा शुल्क लगाया जाए. यदि दोनों पर अलग-अलग शुल्क नहीं लगाया जा सकता तो कम से कम 10% का अंतर रखा जाए, ताकि तैयार उत्पाद महंगे हों और भारत में निर्माण को बढ़ावा मिले. यह मांग इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अधिकतर आयात बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए जाते हैं जो भारत में कोई निवेश नहीं करतीं.

किसानों पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं

सीसीएफआई के अनुसार, कृषि रसायनों का उपयोग खेती में केवल 1% लागत का हिस्सा है. इसलिए यदि सीमा शुल्क बढ़ाया भी जाता है, तो किसानों पर इसका कोई बड़ा आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. बल्कि, यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पाद देश में ही उपलब्ध हों.

विदेशी आयात नीति से हो रहा है घरेलू नुकसान

वर्तमान सीमा शुल्क व्यवस्था विदेशी कंपनियों के पक्ष में है, जिससे भारत में नए तकनीकी उत्पादों का पंजीकरण और निर्माण कठिन हो गया है. बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बिना स्थानीय निर्माण किए अपने उत्पाद भारत में बेच रही हैं, जिससे देश की विदेशी मुद्रा भी खर्च हो रही है और रोजगार के अवसर भी घट रहे हैं.

चीन की सब्सिडी नीति से असमान प्रतिस्पर्धा

चीन अपने कृषि रसायनों के निर्यात पर 9% से 16% तक की सब्सिडी देता है, जिससे उनके उत्पाद विश्व बाजार में सस्ते पड़ते हैं. भारत में ऐसी कोई नीति नहीं है, जिससे हमारे उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें. इसलिए भारत सरकार को भी भारतीय निर्माताओं को ड्यूटी ड्रॉबैक या प्रोत्साहन स्वरूप नकद सब्सिडी देनी चाहिए.

गुणवत्ता और शुद्धता पर चिंता

आयातित फार्मूलेशन उत्पादों की शुद्धता, विषाक्तता और प्रभावशीलता की कोई ठोस गारंटी नहीं होती. कई बार ऐसे उत्पादों में निम्न गुणवत्ता के या समाप्त हो चुके तकनीकी रसायन प्रयोग में लाए जाते हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है. यह भी देखा गया है कि आयातित उत्पाद भारतीय उत्पादों की तुलना में 2 से 2.5 गुना महंगे होते हैं.

निर्माण क्षमता होने के बावजूद आयात क्यों?

भारत के पास लगभग 45% अतिरिक्त निर्माण क्षमता है, लेकिन फिर भी हम बड़े पैमाने पर फार्मूलेशन आयात कर रहे हैं. हमारे देश में सभी प्रकार के आधुनिक और पारंपरिक कृषि रसायनों के निर्माण की तकनीक और संसाधन मौजूद हैं. इसके बावजूद चीनी उत्पादों की डंपिंग ने घरेलू उत्पादन को कमजोर कर दिया है.

फलातू आयात पर रोक जरूरी

सीसीएफआई का कहना है कि सरकार को तकनीकी ग्रेड रसायन का पंजीकरण अनिवार्य करना चाहिए, तभी फार्मूलेशन आयात की अनुमति मिले. इससे यह सुनिश्चित होगा कि विदेशी कंपनियां भी उन्हीं नियमों का पालन करें जो भारतीय कंपनियों पर लागू होते हैं. इससे 'मेक इन इंडिया' को बल मिलेगा और रोजगार सृजन भी होगा.

डेटा निगरानी की ज़रूरत

सरकार को HSN कोड प्रणाली में सुधार करना चाहिए ताकि "Others" नामक श्रेणी में दर्ज 95% आयात को सही श्रेणियों में बाँटा जा सके. इससे वास्तविक डेटा और निगरानी संभव होगी. वर्तमान में केवल 57 उत्पादों के लिए HSN कोड हैं, जबकि बाज़ार में 318 तकनीकी ग्रेड और 820 फार्मूलेशन उपयोग में हैं.

आत्मनिर्भरता की दिशा में सही कदम

कृषि रसायन उद्योग भारत को वैश्विक निर्माण हब बना सकता है, बशर्ते सरकार नीति में आवश्यक संशोधन करे. चीनी उत्पादों की अनियंत्रित डंपिंग को रोकना और सीमा शुल्क बढ़ाना समय की आवश्यकता है. इससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों को सशक्त बल मिलेगा. सीसीएफआई ने सरकार से अपील की है कि वह इस दिशा में शीघ्र और निर्णायक कदम उठाए.

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