Cotton Farming: कपास की बंपर पैदावार के ल‍िए क‍ितनी खाद की होती है जरूरत, स‍िंचाई के बारे में भी जान‍िए

Cotton Farming: कपास की बंपर पैदावार के ल‍िए क‍ितनी खाद की होती है जरूरत, स‍िंचाई के बारे में भी जान‍िए

कपास की बुवाई 15-25 मई के बीच कर दें. इससे सही समय पर फसल तैयार हो जाएगी. बारानी क्षेत्र में मॉनसून के साथ ही बुवाई करना उचित होगा. कपास में 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है. म‍िट्टी की नमी के अनुसार सिंचाई करें एवं अंत‍िम सिंचाई एक-तिहाई ट‍िंडे खुलने पर करें. 

कपास की खेतीकपास की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 18, 2024,
  • Updated May 18, 2024, 10:45 AM IST

कपास एक कमर्श‍ियल फसल है. इसकी अच्छी खेती हो तो क‍िसानों को बंपर मुनाफा हो सकता है. कपास की फसल में कीट काफी लगते हैं, इसल‍िए कीटनाशकों का स्प्रे करना पड़ता है और उससे लागत बढ़ जाती है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि इससे बचने के ल‍िए क‍िसान बुवाई के समय ही कुछ बातों का ध्यान दें तो स्थ‍ित‍ि में सुधार हो सकता है. इसके ल‍िए बीज उपचार जरूर करें. फफूंदनाशक द्वारा 2.5 ग्राम प्रति क‍िलोग्राम की दर से बीजशोधन करना चाहिए. फफूंदनाशक दवाई के उपचार से राइजोक्टोनिया जड़गलन, फ्यूजेरियम उकठा और अन्य मृदाजनित फफूंद से होने वाली व्याधियों से फसल को बचाया जा सकता है. 

कार्बण्डाजिम सिस्टेमिक रसायन है. इससे प्राथमिक अवस्था में रोगों के आक्रमण से बचाया जा सकता है. इमिडाक्लोरोप्रिड 7.0 ग्राम अथवा कार्बोसल्फॉन 20 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज उपचारित कर बोने से फसल को 40-60 दिनों तक रस चूसक कीटों से सुरक्षा मिलती है. दीमक से बचाव के लिए 10 मि.ली. पानी में 10 मि.ली. क्लोरोपाइरीफॉस मिलाकर बीज पर छिड़क दें तथा 30-40 मिनट छाया में सुखाकर बुआई कर दें.

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कपास में उर्वरकों का इस्तेमाल 

उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर किया जाना चाहिए. कपास की देसी प्रजातियों के लिए 50-70 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 20-30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, अमेरिकन प्रजातियों के लिए 60-80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, 20-30 कि.ग्रा. पोटाश और संकर प्रजातियों के लिए 150-60-60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. इसके अतिरिक्त 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर का प्रयोग लाभदायक पाया गया है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं बाकी उर्वरकों की पूरी मात्रा बुवाई के समय डालनी चाहिए. नाइट्रोजन की बाकी मात्रा फूल आने के समय सिंचाई के बाद में देनी चाहिए.

स‍िंचाई कब करें 

जहां सिंचाई की सुविधा हो, कपास की बुवाई 15-25 मई के बीच कर दें. इससे सही समय पर फसल तैयार हो जाएगी. बारानी क्षेत्र में मॉनसून के साथ ही बुवाई करना उचित होगा. कपास में 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है. मृदा की नमी के अनुसार सिंचाई करें एवं अंत‍िम सिंचाई एक-तिहाई ट‍िंडे खुलने पर करें.

खरपतवार नियंत्रण कैसे होगा 

कपास की अच्छी उपज लेने के ल‍िए पूरी तरह खरपतवार नियंत्रण होना बहुत जरूरी है. इसके लिए तीन-चार बार फसल बढ़वार के समय गुड़ाई बैलचालित त्रिफाली कल्टीवेटर या ट्रैक्टर चालित कल्टीवेटर द्वारा करनी चाहिए. पहली गुड़ाई सूखी हो, इसे पहली सिंचाई के पूर्व (बुआई के 30-35 दिनों पहले) ही कर लेनी चाहिए. फूल व गूलर बनने पर कल्टीवेटर का प्रयोग न किया जाए. इन अवस्थाओं में खुरपी द्वारा खरपतवार निकाल देनी चाहिए. इसके 3.3 कि.ग्रा. पेंडीमेथिलीन प्रति हेक्टेयर जमाव से पूर्व या बुवाई के 2-3 दिनों के अन्दर प्रयोग करें.

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