बिहार के मिथिलांचल की धरती पर उपजने वाला न्यूट्रीशियन और प्रोटीन से भरपूर मखाना की मांग देश सहित विश्व में बड़े पैमाने पर है. मखाना अपनी गुणवत्ता की वजह से किचन में पैठ बना चुका है. ये जितना स्वास्थ्यवर्धक है. वहीं इसकी खेती उतनी ही कठिन है. नर्सरी से लेकर हार्वेस्टिंग तक इसकी खेती में किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. मखाना के किसान धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि मखाना की खेती धान की खेती की जैसा ही है. नवंबर में नर्सरी लगाने से लेकर सितंबर महीने से मखाने के बीज की कटाई शुरू हो जाती हैं. मखाना की खेती कई तरीके से की जा रही है, जिसमें मुख्य रूप से तालाब एंव खेत में बड़े स्तर पर होती है.