क्या है Gucchi mushroom और कैसे होती है इसकी खेती, कश्मीर से है इसका सीधा नाता

क्या है Gucchi mushroom और कैसे होती है इसकी खेती, कश्मीर से है इसका सीधा नाता

गुच्छी मशरूम में आयरन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसमें विटामिन बी, विटामिन डी, फाइबर और कई तरह के मिनरल्स भी पाए जाते हैं. कहा जाता है कि इसका सेवन करने से दिल से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं.

गुच्छी मशरूम की कीमत हजारों रुपये किलो है. (सांकेतिक फोटो)गुच्छी मशरूम की कीमत हजारों रुपये किलो है. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 04, 2023,
  • Updated Dec 04, 2023, 4:52 PM IST

लोगों को लगता है कि खाने वाली चीजों में सबसे महंगा काजू, अखरोट, बादाम और किशमिश ही है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. इन ड्राई फ्रूट्स से भी महंगे- महंगे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनकी कीमत हजारों रुपये किलो है. लेकिन आज हम बात सिर्फ गुच्छी मशरूम के बारे में करेंगे. यह मशरूम की एक ऐसी किस्म है, जिसकी कीमत 30 से 50 हजार रुपये किलो तक होती है.

गुच्छी मशरूम अपने उमदा स्वाद के लिए जाना जाता है. खास बात यह है कि इसकी खेती नहीं की जाती है. यह जम्मू- कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के ऊंची पहाड़ियों पर प्राकृतिक रूप से अपने आप उगता है. इस तोड़ने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पहाड़ की ऊंची- ऊंची चोटियों तक जाते हैं. यही वजह है कि गुच्छी मशरूम दुनिया के फूड लवर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है.

इन देशों में है डिमांड

गुच्छी मशरूम में आयरन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसमें विटामिन बी, विटामिन डी, फाइबर और कई तरह के मिनरल्स भी पाए जाते हैं. कहा जाता है कि इसका सेवन करने से दिल से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं. दुनिया के अमीर लोग ही केवल गुच्छी मशरूम खाते हैं. गुच्छी मशरूम कश्मीर की ऊंची- ऊंची चोटियों के अलावा शिमला, कुल्लू, मनाली और चंबा के जंगलों में भी असानी से मिल जाता है. यहां के स्थानीय लोग गुच्छी मशरूम की खोज में जंगलों में दूर- दूर तक चले जाते हैं. यह हिमाचल के जंगलों में फरवरी से अप्रैल महीने के बीच उगता है. इसकी यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे कई देशों में डिमांड बढ़ती जा रही है.

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अब किसान कर सकेंगे खेती

अब किसान जल्द ही गुच्छी मशरूम की खेती खेतों में कर सकेंगे. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत काम करने वाली संस्था मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन ने कई सालों तक शोध किया. साल 2021 में वैज्ञानिकों ने इसकी कृत्रिम खेती करने में सफलता हासिल की थी. अब वैज्ञानिक इसकी खेती करने के लिए कृत्रिम तकनीक विकसित कर रहे हैं. अगर सबकुछ सफल रहा तो पहाड़ी इलके के किसान अपने खेत में गुच्छी मशरूम की खेती कर सकेंगे.

इतना होना चाहिए तापमान

खास बात यह है कि खाने के अलावा गुच्छी मशरूम का इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी किया जाता है. वहीं, पहाड़ी इलाके के लोग इस सब्जी को टटमोर या डुंघरू भी कहते हैं. भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ चरकसंहिता में इसे सर्पच्छत्रक कहा गया है. ऐसे गुच्छी मशरूम के विकास के लिए उचित तापमान भी होना जरूरी है. अगर उचित तापमान नहीं होगा, तो यह तेजी से विकास नहीं करेगा. दिन का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच और रात का तापमान पांच से 9 डिग्री सेल्सियस के बीच होने पर यह तेजी से ग्रोथ करता है. लेकिन, मौसम में बदलाव आने से अब गुच्छी मशरूम के उत्पादन में गिरावट आ रही है.

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