सोयाबीन की खेती किसानों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती की जाती है. सोयाबीन के फूल आने के बाद फल आता है. फूलों का फलन और आकार जितना बड़ा होता है सोयाबीन भी उतनी ही अच्छी क्वालिटी वाला होता है. सोयाबीन की पैदावार इसके फूलों की मात्रा पर निर्भर करती है. इसलिए यह कोशिश करनी चाहिए कि पौधों से फूल नहीं झड़ें और पैदावार अच्छी हो. इसके लिए दवा का स्प्रे किया जाता है. फूल का आकार बढ़ाने और पैदावार बढ़ाने के लिए किसान दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस खबर में आपको बताएंगे उन दवाओं के बारे में जिनका इस्तेमाल करके सोयाबीन की पैदावार बढ़ाई जा सकती है.
फूल बढ़ाने की एक दवा का नाम दैनिक है. इस दवा में अमीनों और पेप्टिक एसिड होते हैं. साथ ही इसमें कार्बनिक और गैर कार्बनिक कंटेंट होते हैं. इस दवा का उपयोग पौधों में सुधार लाने के लिए और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है. यह दवा फसल में फल और फूलों में वृद्धि के लिए सहायक होती है. अधिक तेज हवा और नमी के आभाव में फूलों को झड़ने से बचाती है. बाजार में यह सीओ 1010 एल के नाम से आती है. इसका उपयोग सोयाबीन के अलावा अन्य दलहनी फसलों में भी किया जा सकता है. इससे उनकी पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है.
ये भी पढ़ेंः ड्रोन खरीद के लिए 3.65 लाख रुपये की सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, तुरंत करें अप्लाई
सोयाबीन के अलावा इसका इस्तेमाल मूंग, उड़द, धान, अंगूर, टमाटर, करेला मिर्च और बैंगन जैसी सब्जियों में किया जाता है. इसके इस्तेमाल से फूल अच्छी अवस्था में रहता है जिससे फलन अच्छा होता है. इस दवा का इस्तेमाल 300 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से करना होता है. एक एकड़ खेत में इस दवा का छिड़काव करने के लिए इसे 150 लीटर पानी में मिलाना चाहिए. बाजार में इस दवा की कीमत 800-1000 रुपये के बीच होती है.
ये भी पढ़ेंः Success Story: प्राकृतिक खेती से अंबेडकर नगर की कांति देवी की बदली तकदीर, किसानों के लिए बन गईं ब्रांड एंबेसडर
सोयाबीन का फूल बढ़ाने की एक दवा गोदरेज कंपनी की भी आती है. गोदरेज बहुराष्ट्रीय कंपनी है. इसका भी प्रमुख उपयोग फूल और फल बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सोयाबीन, मूंग, उड़द, कपास, चना, मटर, भिंडी और टमाटर में किया जाता है. फसल में इसका प्रयोग दो बार करना चाहिए. पहली बार इसका इस्तेमाल तब करना चाहिए जब फसल में फूल लग रहे हैं. फिर पौधों में फल लगने के बाद इसका इस्तेमाल किसान अपने खेतों में कर सकते हैं. इसकी कीमत 2400 रुपये प्रति बोतल है. इसे भी 150 लीटर पानी में 300 एमएल दवा मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.