Maize Farming: जून के आखिरी हफ्ते तक बो लें मक्‍का की ये किस्‍में, पढ़ें एक्‍सपर्ट एडवाइस

Maize Farming: जून के आखिरी हफ्ते तक बो लें मक्‍का की ये किस्‍में, पढ़ें एक्‍सपर्ट एडवाइस

Maize Farming Tips: खरीफ सीजन में मक्का की खेती किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इसकी मांग और सरकारी समर्थन दोनों बढ़ रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जल्दी पकने वाली किस्मों की बुवाई जून के अंत तक करनी चाहिए और खेत की सही तैयारी से अच्छी उपज संभव है.

Maize Farming Tips and VarietiesMaize Farming Tips and Varieties
प्रतीक जैन
  • Noida,
  • Jun 17, 2025,
  • Updated Jun 17, 2025, 2:37 PM IST

तीनों फसल सीजनों के उगाई जाने वाली मक्‍का की फसल ज्‍यादा उत्‍पादन और आय के लि‍हाज से बहुत ही बढ़‍िया फसल है. सरकार श्रीअन्‍न यानी मोटे अनाज को बढ़ावा दे रही है. वहीं, वर्तमान में भारत में मक्‍का की डिमांड भी काफी बढ़ रही है. अब सरकार मक्‍का से इथेनॉल निर्माण पर भी काफी फोकस कर रही है. ऐसे में किसान खरीफ सीजन में मक्‍का की फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जानिए खरीफ मक्‍का की बुवाई और किस्‍मों पर कृषि एक्‍सपर्ट्स के सुझाव…

महीने के आखिरी तक जरूर बोएं ये मक्‍का

कृषि एक्‍सपर्ट देर से पकने वाली मक्का की बुवाई के लिए मध्य मई से मध्य जून का समय सुझाते हैं, इस समय पलेवा करके इसकी बुवाई करनी चाहिए, ताकि बारि‍श शुरू होने से पहले ही खेत में पौधे लग जाएं और बुवाई के 15 दिनों के बाद एक निराई भी हो जाए. वहीं, जल्‍दी पकने वाली मक्का की बुवाई जून के आखिरी हफ्ते तक करने की  सलाह दी जाती है. खरीफ मौसम में मक्का के लिए खेत की तैयारी के लिए जमीन पर हैरो से एक गहरी जुताई और 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए.

जुताई के बाद जरूर लगाएं पाटा

किसानों से अपील की जाती है कि वे जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं, ऐसा करने से नमी सुरक्षित रहती है. मक्का की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थ की मात्रा और उचित जल निकासी की सुविधा वाली दोमट मिट्टी से लेकर बलुई दोमट, गहरी, भारी गठन वाली मिट्टी जमीन अच्छी मानी जाती है. लवणीय और क्षारीय मिट्टी मक्का की खेती के लिए सही नहीं होती है. खरीफ मक्का की खेती के लिए परिपक्वता अवधि के आधार पर ज्‍यादा उपज देने वाली बहुत सी हाइब्रिड किस्‍में उपलब्ध हैं.

ये है मक्‍का की प्रमुख किस्‍में

मक्का की जल्दी पकने वाली हाइब्रिड किस्‍में : जैसे- पीईएचएम 2, पीईएचएम 3, पीईएचएम 5, विवेक संकर मक्का 4 आदि ये प्रजातियां 85-95 दिनों में पक जाती हैं. इन प्रजातियों को सिंचित और बारिश आधारित क्षेत्रों में उगाया जा सकता है.

मक्का की पूर्णकालिक परिपक्वता की किस्‍में जैसे- पूसा जवाहर संकर मक्का-1, गुजरात आनंद व्हाइट मक्का हाइब्रिड-2, एमएम 9344, पूसा एचएम-9 इम्प्रूव्ड, प्रताप मक्का-9, प्रताप कंचन-2, डब्ल्यूसी-236 आदि इस वर्ग की प्रजातियां 100-110 दिनों में पकती हैं. 

प्रोटीनयुक्त मक्का की प्रजातियां जैसे- एचक्यूपीएम 1, एचक्यूपीएम 4, एचक्यूपीएम 5, एचक्यूपीएम 7, विवेक क्यूपीएम 9, शक्तिमान 1 और शक्तिमान 3, शक्तिमान 4 आदि प्रमुख हैं. इन प्रजातियों को उन क्षेत्रों में बोना चाहिए, जहां पर सिंचाई देकर समय से बुआई हो सके तथा फसल काल में वर्षा सुनिश्चित हो.

लगभग सभी राज्‍यों में लग सकती हैं ये वैरायटी

सभी राज्यों के लिए विशेष प्रकार की मक्का की किस्में जैसे बेबीकॉर्न के लिए पूसा संकर 2, पूसा संकर-3, एचएम-4ए बीएल-42 और जी-5414, पॉपकॉर्न के लिए पर्ल पॉपकॉर्न और अम्बर पॉपकॉर्न और स्वीटकॉर्न के लिए प्रिया और माधुरी आदि प्रमुख हैं.

खरीफ मक्का में उचित संख्या 65000 से 78000 पौधे प्रति हैक्टर प्राप्त करने के लिए 20-25 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्‍टेयर की जरूरत पड़ती है. बीज उत्पादन के लिए पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 60-75×12-15 सें.मी. रखनी चाहिए और बीज 4-5 सें.मी. की गहराई पर बोना चाहिए.

MORE NEWS

Read more!