Farming Tips: मूंग की खेती और उसमें लगने वाले कीटों को नियंत्रण करने का तरीका

Farming Tips: मूंग की खेती और उसमें लगने वाले कीटों को नियंत्रण करने का तरीका

मूंग की खेती अगर सही तरीके से की जाए तो इससे काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. मूंग की फसल में कई प्रकार के रोग लगने की संभावना रहती है. यदि इन रोगों की सही समय पर पहचान कर नियंत्रण कर लिया जाए तो फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है.

मूंग की फसल में लगने वाले रोग मूंग की फसल में लगने वाले रोग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 23, 2023,
  • Updated Feb 23, 2023, 3:01 PM IST

भारत में दलहनी फसलों में मूंग का अपना एक अलग स्थान और पहचान है. देश में खरीफ और रबी फसलों के अलावा जायद सीजन में भी अब मूंग की खेती की जा रही है. जिस वजह से मूंग का उत्पादन बढ़ गया है और किसानों को मूंग की खेती से अच्छा मुनाफा मिल रहा है. मूंग में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो हमारे सेहत के साथ-साथ खेत की मिट्टी के लिए भी बहुत फायदेमंद है. यह मिट्टी में नाइट्रोजन को मिलने का काम करता है. 

मूंग की फसल से फलियां तोड़ने के बाद हल से फसल को पलटकर मिट्टी में दबा देते हैं जिस वजह से यह हरी खाद का काम करती है. मूंग की खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है. मूंग की खेती अगर सही तरीके से की जाए तो इससे काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. मूंग की फसल में कई प्रकार के रोग लगने की संभावना रहती है. यदि इन रोगों की सही समय पर पहचान कर नियंत्रण कर लिया जाए तो फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है.

मूंग में लगने वाले दो प्रमुख रोग

  • पीत चितेरी रोग (येलो मोजेक वायरस) 
  • पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल)

खेतों में खड़ी फसलों पर कीटों का प्रकोप सबसे अधिक रहता है. जिस वजह से किसानों की चिंता बढ़ती जाती है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे गेहूं में लगेने वाले प्रमुख कीटों के बारे में और कैसे किसान ऊपर नियंत्रण पा सकते हैं:-

पीत चितेरी रोग (येलो मोजेक वायरस)

पीला मोजेक रोग मूंग की फसल का रोग है. इस रोग के कारण पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और वे गिरने लगती हैं. इस रोग के कारण मूंग की फलियां पूरी नहीं आ पाती हैं, जिससे मूंग का उत्पादन कम हो जाता है. संक्रमित पौधों में फूल और फलियाँ देर से और कम दिखाई देती हैं. इस रोग का असर पौधे व फलियों पर तथा दोनों पर भी दिखाई दे सकता है. यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. ऐसे में इस रोग से छुटकारा पाने के लिए कीटनाशक स्प्रे का इस्तेमाल करें.

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येलो मोजेक रोग को नियंत्रित करने का उपाय

  • इस रोग के लक्षण दिखते ही आक्सीडेमेटान मेथाइल 0.1% या डायमेथोएट 0.3% प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर 3 से 4 बार छिडकाव करें. इससे रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है. 
  • खेतों से खरपतवार को हटाकर नष्ट कर लें. अगर संक्रमित पौधा दिखता है तो उसे भी नष्ट कर दें. 
  • संक्रामण के खतरे से बचने के लिए रोग अवरोधी मूंग की किस्मों का प्रयोग करें जैसे- एलजीपी – 407, एमएल – 267 आदि.

पर्ण व्यांकुचन रोग (लीफ क्रिंकल)

लीफ क्रिंकल एक खतरनाक रोग है. लीफ क्रिंकल रोग बीज द्वारा फैलता है. वहीं कुछ क्षेत्रों में यह रोग सफेद मक्खी द्वारा भी फैलता है. आमतौर पर इसके लक्षण फसल बोने के 3 से 4 सप्ताह में दिखाई देने लगते हैं. इस रोग में दूसरी पत्ती बड़ी होने लगती है तथा पत्तियों में झुर्रियां व मरोड़ आने लगती है.

पर्ण व्यांकुचन रोग को नियंत्रित करने का उपाय

  • ये रोग पौधे के बीज द्वारा फैलता है. ऐसे में रोग का पता चलते ही पौधों को जड़ से उखाड़ जला कर नष्ट कर दें. इससे संक्रमन नहीं फैलेगा.    
  • पर्ण व्यांकुचन रोग से फसल को बचाने के लिए बुवाई के 15 दिन बाद या रोग के लक्षण दिखने पर  इमिडाक्रोपिरिड का छिड़काव करें.

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