Mango Farming Technique: खेती-किसान में नई-नई तकनीक का इस्तेमाल बहुत तेजी से होने लगा है. इसी बीच आम की बागवानी करने वाले किसानों को बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है. गुरुवार को पेड़ से आम को तोड़कर वाशिंग तक करने वाली खास तकनीक से बनी मशीन चेन्नई से लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंच गई है. इस मशीन को अपनाने से किसानों को कम खर्च में काफी फायदा होगा. अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने किसान तक से बातचीत में बताया कि बीते कई सालों में किसानों के काम को आरामदायक बनाने के लिए कई आविष्कार किए गए है. आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए एक खास तकनीक पर निर्मित मशीन चेन्नई से लखनऊ पहुंची है. उन्होंने बताया कि इस मशीन की खासियत कई हैं. आम तोड़ने वाली यह मशीन कम समय में पेड़ से आम तोड़ने, वाशिंग और पैकेजिंग जैसा काम फौरन कर देती है.
उपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि आने वाले दो दिनों के अंदर आम की बागवानी करने वाले किसानों को इस मशीन के बारे में जानकारी दी जाएगी. जिससे किसानों को आम तोड़ने से लेकर पैकेजिंग करने में ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़े. वहीं किसानों की आमदनी भी डबल होगी. उन्होंने बताया कि अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के अनुरोध पर चेन्नई की नामी कंपनी 'SEVENTH HORSE AGRI-TECH PRIVATE LIMITED' और 'XL FARM PVT LTD' ने मलीहाबादी आम की खेती करने वाले किसानों को डेमोस्ट्रेशन देगी. जिससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को फायदा हो सके. आम की फसल के लिए यहां बड़े-बड़े बाग तैयार किए गए हैं और उन बागों में आम की फसल को तैयार है.
अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आम का पेड़ काफी ऊंचा होता है और किसान अभी तक इसको या तो पेड़ों पर चढ़कर तोड़ते हैं या फिर लाठी-डंडे से मार कर गिराते हैं. इससे आम को चोट लग जाती है और वो जल्दी खराब हो जाते हैं. वहीं पेड़ से गिरने पर किसानों के साथ कई मामले पहले प्रकाश में आ चुकी है. ऐसी घटनाओं के रोकने के लिए अब इस हाईटेक मशीन से कुछ राहत मिलेगी.
मशीन की लंबाई: 260 सेमी या 8.5 फीट.
चौड़ाई: 135 सेमी या 4.42 फीट.
ऊंचाई: 145 सेमी या 4.75 फीट.
वजन: लगभग 450 किग्रा से 550 किग्रा.
बता दें कि लखनऊ के मलिहाबाद का दशहरी आम देश-दुनिया में फेमस है. देश में पहली बार लखनऊ के मलिहाबादी दशहरी आम को GI Tag125 का यूजर सर्टिफिकेट मिल गया है. इससे असली और नकली दशहरी आम की पहचान आसानी से हो जाएगी. अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि दशहरी आम को GI Tag बहुत पहले मिल चुका था, लेकिन अब उसके उत्पाद को बेचने के लिए एक एप्लीकेशन देने पड़ती है कि हम GI Tag125 नाम से मलिहाबादी दशहरी आम को मार्केट में बेचेंगे. जब तक आपको चेन्नाई से यूजर सर्टिफिकेट नहीं मिलता है, आप मलिहाबादी दशहरी के नाम से नहीं बेच सकते हैं.