IIT कानपुर ने तैयार किया स्मार्ट स्प्रेयर, 50% एग्रो केमिकल की होगी बचत, बढ़ेगी किसानों की आय

IIT कानपुर ने तैयार किया स्मार्ट स्प्रेयर, 50% एग्रो केमिकल की होगी बचत, बढ़ेगी किसानों की आय

इस स्प्रेयर को आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर भारत लोहानी और उनकी टीम (अक्षत आर्या, सौरभ यादव, मन्सवी, विवेक) ने विकसित किया है. इसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ा जा सकता है और यह केवल पेड़ों के पास जाकर दवा छिड़केगा.

 IIT kanpur revolution for farmers IIT kanpur revolution for farmers
क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Jan 20, 2025,
  • Updated Jan 20, 2025, 6:33 PM IST

    किसानों को बगीचों में दवा छिड़कने में पहले काफी समय और मेहनत लगती थी. सभी पेड़ों पर समान रूप से दवा का छिड़काव भी काफी मुश्किल होता है लेकिन इस समस्या का समाधान अब आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने कर दिया है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्मार्ट स्प्रेयर बनाया है, जो पेड़ों की पत्तियों और तनों तक दवा पहुंचाने में मदद करेगा. इतना ही नहीं यह 40% तक रसायनों की बचत भी करेगा.

    इस स्प्रेयर ट्रैक्टर के साथ जोड़ा जा सकेगा
    इस स्प्रेयर को आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर भारत लोहानी और उनकी टीम (अक्षत आर्या, सौरभ यादव, मन्सवी, विवेक) ने विकसित किया है. इसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ा जा सकता है और यह केवल पेड़ों के पास जाकर दवा छिड़केगा.

    छिड़काव के दौरान लाइव डेटा दिखाएगा
    इसका परीक्षण आम के बागानों, सोनीपत के खेतों और आईआईटी कानपुर की लैब में किया गया है. अब इसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा के खेतों में आजमाया जाएगा. साथ ही, चार प्रोटोटाइप भी टेस्ट किए जाएंगे. टीम ने एक मोबाइल एप भी बनाया है, जो किसान के खेत का नक्शा तैयार करेगा और छिड़काव के दौरान लाइव डेटा दिखाएगा. इससे समय और प्रयास दोनों की बचत होगी.

    कीमत अभी तय नहीं हुई
    इस परियोजना को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने फंड किया है. स्प्रेयर के उत्पादन के लिए एक कंपनी भी चुनी गई है. इसकी कीमत अभी तय नहीं हुई है, लेकिन यह अगले 3-4 सालों तक किसानों के लिए उपयोगी रहेगा.

    क्या है लिडार टेक्नोलॉजी
    विज्ञान के क्षेत्र में लिडार टेक्नोलॉजी नई तकनीक है जिसका सबसे अधिक फायदा कृषि को मिल रहा है. यह पूरी तरह से लेजर आधारित तकनीक है जो पौधों की सेहत और मिट्टी के हालात के बारे में बताती है. इस तकनीक से मिट्टी की नमी का भी सटीक पता लगाया जाता है. दिन या रात किसी भी समय यह तकनीक मिट्टी की नमी का सही-सही रिकॉर्ड देती है. यही वजह है कि स्प्रिंकलर में इस तकनीक का प्रयोग किया गया है ताकि पानी का सही-सही इस्तेमाल हो सके. 

    फसलों के खराब होने की आशंका खत्म होगी
    अगर मिट्टी में अधिक नमी होगी तो स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव नहीं होगा. इससे दो फायदे होंगे. एक तो पानी की बचत होगी और दूसरा फायदा ये कि मिट्टी में अधिक नमी नहीं बढ़ेगी. इससे फसलों के खराब होने की आशंका खत्म होगी क्योंकि अधिक नमी फसलों के लिए घातक होती है. लिडार टेक्नोलॉजी इस तरह की सुविधाओं के साथ स्प्रिंकलर और सिंचाई में मदद कर रही है.

     

    -सिमर चावला की रिपोर्ट

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