Bihar में शुरू हुई इजराइली तकनीक से खेती, अब इस तरह उगेंगी सब्जियां, पढ़ें पूरी डिटेल

Bihar में शुरू हुई इजराइली तकनीक से खेती, अब इस तरह उगेंगी सब्जियां, पढ़ें पूरी डिटेल

बिहार के नालंदा जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर चंडी सूबे में बना है राज्य का एकमात्र सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल (COE) . यह यूनिट 1000 वर्ग किलोमीटर में बनाई गई है. अब यहां18 सौ वर्ग मीटर में एरोपोनिक यूनिट बन रही है. जानें इससे जुड़ी पूरी डिटेल

बिहार के इस जिले में बना सबसे पहला हाइड्रोपोनिक यूनिट, फोटो साभार: freepikबिहार के इस जिले में बना सबसे पहला हाइड्रोपोनिक यूनिट, फोटो साभार: freepik
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 28, 2023,
  • Updated May 28, 2023, 10:54 AM IST

बिहार के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल (COE) में इजरायली तकनीक पर आधारित हाइड्रोपोनिक यूनिट की शुरुआत हो गई है.  यहां अब बिना मिट्टी के पत्तेदार सब्जियों की खेती हो रही है. यहां शुरुआत में पत्तेदार सब्जियां ही लगाई गई हैं. अन्य वैरायटी के पौधे भी जल्द ही लगाए जाएंगे. साथ ही अच्छी बात ये है कि यहां उगाई गई सब्जियों की ब्रांडिंग की जाएगी और देश की बड़ी मंडियों तक पहुंचाया जाएगा. जिससे आय का स्त्रोत बढ़ेगा. वहीं इस तकनीक की बारीकियां सिखाने के लिए सूबे के किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी. बता दें कि नालंदा जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर चंडी सूबे में  सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल स्थित है.

अब इसके कैंपस में एरोपोनिक यूनिट भी लगाई जा रही हैं. ये यूनिट एक से डेढ़ महीने में तैयार हो जाएंगी. वहीं इसकी खासियत ये है कि इसमें बिना मिट्टी के हवा में बीमारी रहित आलू के बीज तैयार होंगे. यह यूनिट 1000 वर्ग किलोमीटर में बनाई गई है. जबकि 18 सौ वर्ग मीटर में एरोपोनिक यूनिट बन रही है. इन दोनों की लागत करीब पांच करोड़ है.

क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक

हाइड्रोपोनिक तकनीक में खेती करने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है. इस तकनीक में पानी में बालू या कंकड़ डालकर पौधे लगाए जाते हैं. इसमें पौधों को पोषक तत्व देने के लिए विशेष तरह के घोल का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं घोल में नाइट्रोजन, पोटाश, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक और आयरन को एक खास मात्रा में मिलाया जाता है. फिर उसमें ऑक्सीजन को पंपिंग मशीन के जरिए पौधे की जड़ों तक पहुंचाया जाता है. वहीं इस तकनीक से खेती करने में बीमारियां भी कम लगती हैं. साथ ही इसमें कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं पड़ती.

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लगभग 40 दिनों में तैयार होंगे पौधे

इसको लेकर चंडी के बीएचओ (प्रखंड उद्यान पदाधिकारी) पवन कुमार पंकज ने बताया कि हाइड्रोपोनिक यूनिट में पांच वैरायटी के पौधे लगाए गए हैं. जो लगभग 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाएंगे. जिसके बाद उपज भी मिलने लगेगी. वहीं इसकी कटाई ढाई से तीन सप्ताह के अंतराल पर की जाएगी.

किसानों को सिखाई जाएगी आधुनिक तकनीक

प्रोजेक्ट ऑफिसर, सीओई मंडी, डॉ अभय कुमार गौरव ने बताया कि यह बिहार की सबसे बड़ी और पहली हाइड्रोपोनिक यूनिट है. यहां शुरुआत में पांच वैरायटी की पत्तेदार सब्जियों के पौधे लगाए गए हैं. वहीं यहां एरोपोनिक यूनिट भी तैयार की जा रही है. जल्द ही इसमें भी आलू के बीज तैयार किए जाएंगे. इसके अलावा किसानों को यहां आधुनिक तकनीक से खेती करने के तरीके सिखाए जाएंगे. जिससे किसान आधुनिक तकनीक को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकें.

    

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