घर बैठे एक क्लिक पर देखें नर्सरी के पौधों का हाल

घर बैठे एक क्लिक पर देखें नर्सरी के पौधों का हाल

राजस्थान के वन विभाग ने इस परेशानी को अब दूर कर दिया है. अब घर बैठे एक क्लिक पर ही आपको नजदीकी नर्सरी और उसमें मौजूद पौधे की जानकारी मिल जाएगी.

गुलदाउदी की नर्सरी गुलदाउदी की नर्सरी
क‍िसान तक
  • Dec 20, 2022,
  • Updated Dec 20, 2022, 8:25 PM IST

अक्सर ऐसा होता है कि आपको अपनी नजदीकी सरकारी नर्सरी के बारे में पता नहीं होता. अगर नर्सरी मिलती भी है तो उसमें पौधे नहीं मिल पाते. ऐसे में आपका समय और धन दोनों खर्च होते हैं. राजस्थान के वन विभाग ने इस परेशानी को अब दूर कर दिया है. अब घर बैठे एक क्लिक पर ही आपको नजदीकी नर्सरी और उसमें मौजूद पौधे की जानकारी मिल जाएगी. अगर आपकी मर्जी के अनुसार पौधे नहीं मिलता है तो आपका आने-जाने की परेशानी से बचा जा सकता है. राजस्थान वन विभाग ने हाल ही में यह ऑनलाइन व्यवस्था की है.  

ऑनलाइन होने से पर्यावरण प्रेमी और आमजन को सुविधा मिलेगी. इस व्यवस्था से प्रदेश के सभी 33 जिलों में मौजूद नर्सरी अब ऑनलाइन हो गई हैं. 

इस तरह देखें नर्सरी और पौधों की स्थिति

नर्सरी की जानकारी राजस्थान वन विभाग की वेबसाइट पर जाना होगा. वहां होम पेज पर मौजूद सर्विस सेक्शन पर नर्सरी की हाइपर लिंक पर क्लिक करना होगा. इसके बाद एक नई विंडो खुलती है.

नई विंडो पर जिला सलेक्ट करना होगा. इसके बाद सलेक्ट नर्सरी और सलेक्ट प्लांट पर क्लिक करना होगा. इस पर क्लिक करने के बाद नीचे नर्सरी का कोड नंबर आएगा. साथ ही उस नर्सरी का पता और संपर्क नंबर दिखाई देता है. साथ ही सलेक्ट किए पौधे की नर्सरी में मौजूद संख्या के बारे में भी पता चल जाता है. 

अगर पते को लेकर कोई संशय है तो लिंक पर क्लिक किया जा सकता है. इस क्लिक के बाद गूगल मैप, नर्सरी के इंचार्ज का नाम, ईंचार्ज का मोबाइल नंबर, पूरा पता और जीआईएस लिंक खुल सकता है.  इन्हीं लिंक पर क्लिक कर के किसान तक ने धौलपुर जिले की बरौली नर्सरी के बारे में पता किया.

इसमें 21 तरह के पौधे दिखाई दिए. हमने शीशम के पौधे पर क्लिक किया तो इसमें 9690 पौधे होने की जानकारी दी गई. साथ ही पते पर क्लिक करने से वहां के इंचार्ज अरबिंद कुमार के मोबाइल नंबर, नर्सरी का पूरा पता, गूगल और जीआईएस लिंक भी दिखाई दी. 
नर्सरी इंचार्ज अरबिंद कुमार ने किसान तक से कहा कि पौधों की संख्या ऑनलाइन होने से यहां के पर्यावरण प्रेमियों को सुविधा होगी. वे फोन पर ही यह पता कर सकते हैं कि जो पौधे नहीं दिखाई दे रहे, वह कब उपलब्ध हो पाएंगे. 
 

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