मछलीपालन किसानों की आय बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकता है. इसलिए सरकार पारंपरिक फसलों की बजाय बागवानी, पोल्ट्री और मछलीपालन पर फोकस कर रही है. आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ओडिशा के तटीय जलभराव वाले क्षेत्रों में किसान पारंपरिक रूप से वर्ष में केवल एक ही बार धान की फसल कीखेती करते हैं.
इसके बाद भूमि को ऐसे ही परती छोड़ देते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए भारतीय जल प्रबंधन संस्थान के वैज्ञानिकों ने द्वारा इस क्षेत्र के किसानों की आजीविका में सुधार के लिए नई पहल की गई है. उनसे मछलीपालन करवाया जा रहा है.
इससे किसानों को 1.68 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर का लाभ हुआ है. लेकिन, अच्छे लाभ के लिए तालाब में मछलियों के बीज छोड़ने और पकड़ने का सही समय जानना जरूरी है. ताकि नुकसान न हो. वैज्ञानिकों के अनुसार दिसंबर से मई के दौरान मृदा में अम्लता की समस्या अधिक रहती है. वर्षा की शुरुआत के दिनों में ऊंची क्यारियों की ऑक्सीडाइज्ड मृदा में अम्लता घुल जाती है.
इससे किसानों को 1.68 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर का लाभ हुआ है. लेकिन, अच्छे लाभ के लिए तालाब में मछलियों के बीज छोड़ने और पकड़ने का सही समय जानना जरूरी है. ताकि नुकसान न हो. वैज्ञानिकों के अनुसार दिसंबर से मई के दौरान मृदा में अम्लता की समस्या अधिक रहती है. वर्षा की शुरुआत के दिनों में ऊंची क्यारियों की ऑक्सीडाइज्ड मृदा में अम्लता घुल जाती है.
अम्लीय जल मृदा में विषाक्त तत्वों को छोड़ता है, जिससे मछलियों की त्वचा एवं आंखे खराब हो जाती हैं. अम्लीय जल के कारण अनुसंधान स्थल पर वैज्ञानिकों द्वारा मछलियों की आंखों का खराब होना देखा गया है. अम्लीय जल की अवधि को ध्यान में रखकर जुलाई में मछलियों के बीज को तालाब में छोड़ना चाहिए. इस समय जल का पी-एच मान एवं लवणता एक समान बने रहते हैं. शुष्क अवधि के बाद अप्रैल-मई में जब आरंभिक वर्षा हो, तब तालाब से मछलियों को पकड़ना चाहिए. मछलियों की त्वचा, गिल्स एवं आंखों को खराब होने से बचाने के लिए यह समय सही रहता है.
अम्लीय जल मृदा में विषाक्त तत्वों को छोड़ता है, जिससे मछलियों की त्वचा एवं आंखे खराब हो जाती हैं. अम्लीय जल के कारण अनुसंधान स्थल पर वैज्ञानिकों द्वारा मछलियों की आंखों का खराब होना देखा गया है. अम्लीय जल की अवधि को ध्यान में रखकर जुलाई में मछलियों के बीज को तालाब में छोड़ना चाहिए. इस समय जल का पी-एच मान एवं लवणता एक समान बने रहते हैं. शुष्क अवधि के बाद अप्रैल-मई में जब आरंभिक वर्षा हो, तब तालाब से मछलियों को पकड़ना चाहिए. मछलियों की त्वचा, गिल्स एवं आंखों को खराब होने से बचाने के लिए यह समय सही रहता है.