बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ किसान बने MBA पास बिनोद, ऐप से करते हैं सिंचाई

बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ किसान बने MBA पास बिनोद, ऐप से करते हैं सिंचाई

बिनोद कुमार उन प्रगतिशील किसानों में से एक हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान नौकरी छोड़ी और गांव आकर खेती को चुना. खेती करने से पहले, बिनोद एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे में एक निजी बैंक में मैनेजर के पद पर नौकरी करते थे.

अपनी तरबूज की फसल दिखाते बिनोद कुमार     फोटोः किसान तकअपनी तरबूज की फसल दिखाते बिनोद कुमार फोटोः किसान तक
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Dec 21, 2022,
  • Updated Dec 21, 2022, 7:09 AM IST

इस आधुनिक युग में सब कुछ डिजिटल हो रहा है. इतना की अब वो दिन दूर नहीं, जब अपने खेत से हजार किलोमीटर दूर बैठकर भी किसान खेत की सिंचाई कर सकेंगे. खेत के हालात के बारे में जान सकेंगे. जी हां, यह संभव है! एक मोबाइल ऐप और कुछ उपकरणों के जरिए. वर्तमान समय में झारखंड के हजारीबाग जिले में यह हो भी रहा है. 

कृषि को आसान और आधुनिक बनाने के लिए नाबार्ड और इफको किसान द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर झारखंड में इसकी शुरूआत की गई है. किसान बिनोद कुमार के खेत में यह सिस्टम लगाया गया है. 

बिनोद कुमार उन प्रगतिशील किसानों में से एक हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान नौकरी छोड़ी और गांव आकर खेती को चुना. खेती करने से पहले, बिनोद एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे में एक निजी बैंक में मैनेजर के पद पर नौकरी करते थे. तनख्वाह अच्छी थी, लेकिन जब पहली बार कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन हुआ तब उनके अंदर अपने गांव और समाज के लिए कुछ अलग करने की इच्छा हुई. उनके मन में यह इच्छा जगी की वो कुछ ऐसा काम करें कि लोगों को रोजगार भी दे सकें. 

18 एकड़ में करते हैं खेती

इसी सोच के साथ वो अपने घर हजारीबाग आ गए और फिर काफी रिसर्च करने के बाद उन्होंने खेती करने का मन बनाया. इसके बाद साल 2020 में जब अनलॉक की शुरुआत हुई तब उन्होंने खेती के लिए जमीन देखना शुरू किया और फिर 2021 में पहली बार उन्होंने 10 एकड़ जमीन पर तरबूज की खेती की. इसके बाद दूसरी फसल के तौर पर तीन एकड़ में मिर्च और सात एकड़ में टमाटर की खेती की. फिलहाल बिनोद  18 एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती करते हैं. 

आधुनिक तकनीक का किया इस्तेमाल

खेती की शुरुआत के बाद बिनोद  कुमार की मेहनत और लगन को देखते हुए नाबार्ड और इफको किसान ने झारखंड में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के लिए बिनोद  कुमार को चुना और उनके खेत में सिंचाई के लिए ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम लगाया गया है, जो राज्य में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है. इसकी सफलता के बाद राज्य के अन्य किसान भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर पाएंगे. 

इस तरह कार्य करता है सिस्टम

इस सिस्टम में खेत पर एक टावर लगा होता है, जो वहां फार्म में मौजूद सिंचाई मशीनों को मोबाइल कमांड का सिग्नल देता है. खेत में लगे संयत्र से किसान इस बात की जानकारी हासिल कर सकते हैं कि खेती में की मिट्टी में फिलहाल नमी कितनी है, इसके अनुरुप वह कहीं से अपने मोबाइल ऑपरेटेड ऐप के जरिए सिंचाई कर सकते हैं.

बिनोद कुमार के खेत में ऐसे सेंसर लगे हुए हैं जिनसे उन्हें फसल की पत्तियों में नमी कितनी है, जमीन का तापमान कितना है, हवा की गति और मौसम समेत तमाम पैरामीटर्स की जानकारी मिल जाती है. बिनोद  बताते हैं कि उन्हें आईसीएआर और केवीके के साथ-साथ प्रगतिशील किसानों का काफी सहयोग मिलता है.

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