Jowar New Varieties: HAU ने बनाई ज्वार की तीन नई किस्में, पशुपालकों और किसानों को ये होगा लाभ

Jowar New Varieties: HAU ने बनाई ज्वार की तीन नई किस्में, पशुपालकों और किसानों को ये होगा लाभ

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने अब तक ज्वार की 13 नई किस्में तैयार की हैं जिनमें तीन वैरायटी नई हैं. ये तीन नई वैरायटी ऐसी हैं जो चारे के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं. नई किस्म के ज्वार में प्रोटीन के साथ अन्य पोषक तत्वों की मात्रा अधिक है. इसे पचाने में पशुओं को आसानी भी रहती है.

ज्वार की नई किस्मों से पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ेगीज्वार की नई किस्मों से पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ेगी
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 22, 2023,
  • Updated Jul 22, 2023, 5:12 PM IST

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने ज्वार की 13 नई किस्में तैयार की हैं. इससे पशुपालकों और किसानों को बेहद लाभ होगा. ज्वार की ये ऐसी किस्में हैं जिनसे पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता बढ़ेगी. ज्वार की इन किस्मों को ऐसी तकनीक से तैयार किया गया है जिससे पशुओं में दूध की मात्रा बढ़े. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने इन किस्मों को बनाने में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है जिससे दूध में प्रोटीन और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ सके. HAU के बनाए ज्वार की किस्मों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के साथ पाचनशीलता भी ज्यादा है जिसका फायदा दुधारू पशुओं को मिलेगा. पशुओं की दूध की मात्रा बढ़ेगी, दूध में पौष्टिकता अधिक होगा जिसका फायदा पशुपालकों और किसानों को मिलेगा.

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने ज्वार की जिन 13 किस्मों को तैयार किया है, उनमें से सीएसवी-53 एफ किस्म, एचजेएच-1513 और एचजे-1514 हाल ही में विकसित की गई किस्में हैं. कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि ये किस्में किसानों और पशुपालकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगी.

ज्वार की नई किस्मों की विशेषताएं

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि इन तीनों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा और पाचनशीलता अधिक होने के कारण ये पशुओं के लिए बहुत अच्छी हैं. इससे पशुओं में प्रोटीन की मात्रा बढ़ेगी और पशुओं को ज्वार की इन किस्मों को पचाने में भी आसानी रहेगी. डॉ. शर्मा ने बताया कि ज्वार की सीएसवी 53 एफ एक कटाई वाली किस्म है जिसको देश के ज्वार उगाने वाले सभी राज्यों में उगाने की सलाह दी गई है. किसान और पशुपालक इस किस्म को बस एक बार की कटाई में ले सकते हैं. इस किस्म की हरे चारे की औसत पैदावार 483 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है.

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बीमारी से दूर ज्वार की नई किस्में

सीएसवी 53 एफ ज्वार की ऐसी किस्म है जिस पर शूट फ्लाई, स्टेम बोरर जैसे कीड़े नहीं लगते. यहां तक कि यह किस्म ग्रे-लीफ स्पॉट और शूटी स्ट्रिप बीमारी के प्रति भी प्रतिरोधी है. इस किस्म को HAU के चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉ. पम्मी कुमारी, एस.के. पाहुजा, डी.एस. फोगाट, सतपाल, एन. खरोड़, बी.एल. शर्मा और मनजीत सिंह की टीम ने तैयार किया है.

हरियाणा के लिए ज्वार की खास वैरायटी

ज्वार की नई किस्मों में एचजेएच 1513 और एचजे 1514 किस्में हरियाणा में बिजाई के लिए तैयार की गई हैं. इनमें से एचजेएच 1513 एक कटाई वाली हाइब्रिड किस्म है और इसकी हरे चारे की औसत पैदावार 717 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह वैरायटी मीठी और जूसी किस्म की है जिसमे 8.6 प्रतिशत प्रोटीन और 53 प्रतिशत पाचनशीलता है. ज्वार की इस वैरायटी में पत्ती रोग नहीं लगता. इस किस्म पर शूट फ्लाई और स्टेम बोरर कीड़ों का भी प्रकोप नहीं होता है. इस किस्म को HAU की डॉ. पी. कुमारी, डी.एस. फोगाट, सत्यवान आर्य, एस.के. पाहुजा, सतपाल, नीरज खरोड़, बजरंग लाल शर्मा, दलविंदर पाल सिंह, मनजीत सिंह और सरिता देवी ने तैयार किया है.

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एक हेक्टेयर में 161 क्विंटल मिलेगा चारा

ज्वार की तीसरी किस्म एचजे 1514 है जो एक कटाई वाली वैरायटी है. इसकी हरे चारे की पैदावार 664 और सूखे चारे की पैदावार 161 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह अधिक प्रोटीन वाली किस्म है. इस किस्म को पत्ती रोग नहीं लगता और शूट फ्लाई, स्टेम बोरर कीड़ों को प्रकोप नहीं होता है. इस वैरायटी को बनाने वाले वैज्ञानिकों में डॉ. पी. कुमारी, डी.एस. फोगाट, एस. आर्य, एस.के. पाहुजा, सतपाल, नीरज खरोड़, बजरंग लाल शर्मा, दलविंदर पाल सिंह, विनोद कुमार और सरिता देवी शामिल हैं.

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