सात चरणों वाले लोकसभा चुनाव का सात मई यानी मंगलवार को तीसरा चरण है. इस दौरान लाखों मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. गृह मंत्री अमित शाह से लेकर सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक इस चरण में अपनी किस्मत आजमाते हुए नजर आएंगे. गृह मंत्री अमित शाह जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दाहिना हाथ माना जाता है, वह गुजरात के गांधीनगर शहर से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश राज्य के गुना से चुनावी मैदान में हैं. वहीं इत्र ब्रांड अजमल के मालिक बदरुद्दीन अजमल असम के धुबरी से चुनावी मैदान में हैं. साथ ही मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
मंगलवार को वोटर्स लोकसभा की 94 सीटों के लिए 12 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में 1351 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. तीसरे चरण में कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, गुजरात की 26 सीटों में से 25, उत्तर प्रदेश की 10, मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से नौ, असम की 14 सीटों में से चार, गोवा की 2, छत्तीसगढ़ की 11 सीटों में से सात, बिहार 40 सीटों में से पांच, महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 11, पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से चार, जम्मू और कश्मीर की पांच सीटों में से एक, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव: दोनों केंद्र शासित प्रदेश की सीटों पर वोटिंग होनी है.
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इस चरण में गुजरात के गांधीनगर पर सबकी नजरें होंगी. यह सीट साल 1989 से बीजेपी के पास है. इस सीट का नेतृत्व पार्टी के दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता कर चुके हैं. आडवाणी साल 1980 से लेकर 2014 तक इस सीट को जीतते आए. वहीं साल 2019 में आडवाणी ने शाह के लिए इस सीट को छोड़ दिया था.
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मध्य प्रदेश के गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने साल 2002 से 2019 तक कांग्रेस पार्टी के सदस्य के तौर पर संसद में गुना का प्रतिनिधित्व किया. देश में मोदी लहर चलने के कारण वह 2019 का चुनाव हार गए. उनके पिता, माधवराव सिंधिया जो खुद भी कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और दादी विजया राजे सिंधिया ने गुना और ग्वालियर सीटों का प्रतिनिधित्व किया. इन दोनों ही सीटों को ग्वालियर के शाही घराने का गढ़ माना जाता है. साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया जब बीजेपी में शामिल हो गए तो हर कोई हैरान रह गया था.
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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दशक बाद विदिशा से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने इस सीट से चार बार जीत हासिल की थी और इस हिंदी हार्टलैंड राज्य के मुख्यमंत्री बनने से पहले राज्य के मंत्री के तौर पर काम किया. उन्होंने साल 2023 के अंत में राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जीत दिलाई, लेकिन पार्टी ने उन्हें एक युवा नेता को कमान सौंपने के लिए कहा. विदिशा से सन् 1991 में वाजपेयी के अलावा 2009 और 2014 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जीत हासिल की. विदिशा सन् 1984 से बीजेपी का गढ़ रहा है.