Lok Sabha Election 2024: 'अबकी बार 400 पार...' बीजेपी के इस नारे के पीछे हैं ये 3 अहम वजहें   

Lok Sabha Election 2024: 'अबकी बार 400 पार...' बीजेपी के इस नारे के पीछे हैं ये 3 अहम वजहें   

देश में लोकसभा चुनाव जारी हैं और अब तक तीन चरणों के लिए वोट डाले जा चुके हैं. 13 मई को चुनाव का चौथा चरण होगा और 1 जून को आखिरी चरण के बाद 4 जून को नतीजे आ जाएंगे. तीन चरणों की वोटिंग के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने दावा कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में बीजेपी और एनडीए गठबंधन 190 सीटों के पार पहुंच गया है.

4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजे आएंगे
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 09, 2024,
  • Updated May 09, 2024, 5:33 PM IST

देश में लोकसभा चुनाव जारी हैं और अब तक तीन चरणों के लिए वोट डाले जा चुके हैं. 13 मई को चुनाव का चौथा चरण होगा और 1 जून को आखिरी चरण के बाद 4 जून को नतीजे आ जाएंगे. तीन चरणों की वोटिंग के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने दावा कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में बीजेपी और एनडीए गठबंधन 190 सीटों के पार पहुंच गया है. देश में छह हफ्तों तक चलने वाले आम चुनाव को पीएम मोदी के लिए काफी महत्‍वपूर्ण बताया जा रहा है. चावल के पैकेट्स से लेकर शहरों और कस्बों में बड़े- बड़े पोस्टर्स, हर जगह उनकी फोटो नजर आती है. 

क्‍या इस बार बनेगा इतिहास 

पीएम मोदी और बीजेपी ने इस बार 543 सीटों में से 400 सीटें जीतने का लक्ष्‍य रखा है. जबकि  साल 2019 में बीजेपी और एनडीए गठबंधन के खाते में 352 सीटें आई थीं. भारत के राजनीतिक इतिहास में किसी पार्टी ने सन् 1984 में 400 का आंकड़ा पार किया है. उस समय इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की थी. न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में बताया है कि आखिर पीएम मोदी का 400 पार जाने का सपना कैसे सच होगा. एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में 3 अहम वजहों को गिनाया है जो इस लक्ष्‍य को हासिल करने में मदद करेंगी. 

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दक्षिण की रणनीति 

बीजेपी ने दक्षिण के अहम राज्य केरल की एक सीट, पथानामथिट्टा में अनिल एंटनी को मैदान में उतार दिया.  इस जगह पर बड़ी संख्या में ईसाई अल्पसंख्यक रहते हैं.   पिछले आम चुनाव में बीजेपी को केरल में एक भी सीट नहीं मिली थी. साल 2009 से ही यह संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के कब्‍जे में है. अनिल, देश के पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर एके एंटनी के बेटे हैं. एके एंटनी ने बीजेपी में जाने पर बेटे की निंदा भी की. पीएम मोदी दिसंबर 2023 से अब तक कम से कम 16 बार दक्षिण भारत के पांच राज्यों का दौरा कर चुके हैं. 

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बीजेपी के अध्यक्ष नड्डा ने माना है कि बहुमत हासिल करने के लिए पांच दक्षिणी राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा. यहां भारत की करीब 20 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन परंपरागत रूप से उन्होंने उनकी पार्टी को वोट नहीं दिया है. साल 2019 में, एनडीए ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में 130 सीटों में से सिर्फ 31 सीटें जीतीं थी.  बीजेपी की अल्पसंख्यक शाखा के महासचिव जीजी जोसेफ ने कहा कि पार्टी ने वहां के 18 फीसदी मतदाताओं के लिए ठोस प्रयास किया है जो ईसाई हैं. एनडीए इस बार दक्षिण में करीब 50 सीटें जीतने की उम्मीद कर रहा है. 

सेलिब्रिटीज पर भरोसा 

बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से इस बार बॉलीवुड एक्‍ट्रेस कंगना रनौत को टिकट दिया है. कंगना कांग्रेस के उम्‍मीदवार विक्रमादित्य सिंह को चैलेंज कर रही हैं. इस साल बीजेपी ने पांच एक्‍टर्स को टिकट दिया है जबकि साल 2019 में यह आंकड़ा चार था.  कार्नेगी एंडोमेंट में दक्षिण एशियाई राजनीति के विशेषज्ञ मिलन वैष्णव ने कहा, मशहूर हस्तियों को मैदान में उतारना और एंटरटेनमेंट इंडस्‍ट्री की हस्तियों का समर्थन हासिल करना बीजेपी के लिए अपेक्षाकृत नया है. यह वह पार्टी है जिसने अपने कैडर आधारित स्वभाव के कारण लंबे समय से ऐसी रणनीति का विरोध किया है.   

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वेलफेयर स्‍कीम  पर भरोसा 

एनडीए,  पूर्वोत्तर राज्य असम में बढ़त की उम्मीद कर रहा है. यहां पर पार्टी ने साल 2019 में 14 में से नौ सीटें जीती थीं. असम के भाजपा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मार्च में कहा था कि उन्हें 13 सीटें जीतने का भरोसा है. एनडीए का भरोसा राज्य में साल 2023 में यहां की जनता को दिए गए आर्थिक फायदों में है. लेकिन बताया जा रहा है कि असम और जम्मू-कश्मीर में पिछले चुनाव के बाद से इस बार एनडीए की तरफ से जिन सीटों का लक्ष्‍य रखा गया है, वहां पर मुस्लिम वोट कम हो गए.

असम में, एनडीए को कांग्रेस के कब्जे वाले बारपेटा से बहुत उम्मीदें हैं, गठबंधन के उम्मीदवार फणी भूषण चौधरी ने कहा कि इसमें बड़ी हिंदू आबादी वाले दर्जनों गांव और कुछ कस्बे शामिल हैं. बीजेपी लीडर रविंदर रैना की मानें तो नए मतदाताओं में से कई हिंदू या क्षेत्रीय जनजातियों से हैं - जिन्हें शिक्षा और रोजगार विशेषाधिकार मुहैया कराने वालीं नई बीजेपी नीतियों से फायदा हुआ है. 

 

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