प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न का हब बनेगा बुंदेलखंड, कृष‍ि मंत्री शाही ने यूं की तारीफ

प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न का हब बनेगा बुंदेलखंड, कृष‍ि मंत्री शाही ने यूं की तारीफ

यूपी में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लि‍ए सरकार मिलेट्स यानि 'श्रीअन्न' की उपज को बढ़ाने लिए मिशन मोड में काम कर र‍ही है. इसके तहत खेती में रासायनिक खादों के बेहद कम इस्तेमाल वाले बुंदेलखंड इलाके को प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न का प्रमुख केन्द्र बनाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

झांसी में कृष‍ि उत्पादों के स्टॉल देखते कृष‍ि मंत्री सूर्यप्रताप शाही और मुख्य सचिव डीएस मिश्र, फोटो : किसान तकझांसी में कृष‍ि उत्पादों के स्टॉल देखते कृष‍ि मंत्री सूर्यप्रताप शाही और मुख्य सचिव डीएस मिश्र, फोटो : किसान तक
न‍िर्मल यादव
  • Jhansi,
  • Apr 03, 2023,
  • Updated Apr 03, 2023, 12:13 PM IST

यूपी के कृष‍ि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि बुंदेलखंड क्षेत्र की जलवायु और अन्य परिस्थ‍ितियां प्राकृतिक खेती के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं. इस इलाके में पहले से ही फसलों में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल अन्य इलाकों की तुलना में बहुत कम होता रहा है. इसलिए जैविक तरीके से उगाए जाने वाले श्रीअन्न यानि मिलेट्स के उत्पादन का भी हब बनने की सामर्थ्य बुंदेलखंड क्षेत्र में है.

शाही ने कहा कि इस लिहाज से प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न के उत्पादन का दायरा बढ़ाने के योगी सरकार के उपायों को गति देने में बुंदेलखंड अहम भूमिका निभाएगा. उन्हाेंने कहा कि इसमें किसानों का ही नहीं वरन समूचे समाज का कल्याण नि‍हित है.

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किसान बनें सरकार के सहभागी

शाही ने रवि‍वार को झांसी स्थ‍ित भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान में दो दिवसीय 'किसान गोष्ठी एवं कार्यशाला' काे संबो‍ध‍ित करते हुए बुंदेलखंड के किसानों से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भरपूर लाभ उठाने की अपील की.

शाही ने कहा कि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोष‍ित किया गया है. इसके तहत केंद्र एवं राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न के उपभोग तथा उपज को बढ़ाने के लिए किसानों एवं जनसामान्य को जागरुक बनाने का अभ‍ियान शुरू किया है. इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं प्राकृतिक खेती योजना के अंतर्गत इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं.

शाही ने कहा कि प्राकृतिक खेती योजना में मिलेट्स एवं औद्यानिक फसलों को बुंदेलखंड में बढ़ावा देने की रणनीति को किसानों की मदद से ही कारगर बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस मकसद को हासिल करने के लिए सरकार, किसानों को अपना सहभागी बना रही है.  

जायद की फसलों पर हो किसानों का जोर

गोष्ठी में कृषि मंत्री शाही ने श्रीअन्न की उपज को बढ़ावा देने के मकसद की पूर्ति के लिए किसानों से जायद की फसलों पर ध्यान केन्द्र‍ित करने की अपील की. उन्होंने कहा कि कालांतर में कतिपय कारणों से बुंदेलखंड में किसान जायद की फसलों को नजरंदाज कर रहे थे. सेहत के लिए बेहद उपयोगी माने गए मक्का, ज्वार और बाजारा के उत्पादन में कुछ दशक पहले तक बुंदेलखंड का अहम स्थान था.

उन्होंने कहा कि जायद सीजन की इन फसलों के लिए सरकार ने अब बाजार के दरवाजे खोल दिए हैं. किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर श्रीअन्न की भी खरीद होगी. शाही ने कहा कि इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को उचित सब्सिडी पर जायद की फसल के बीज मुहैया करा रही है.

किसान पशुधन को लावारिस न छोड़ें

बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों की कुप्रथा से किसानों की परेशानी बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है. शाही ने कहा कि सरकार जब प्राकृतिक खेती को किसान की आय बढ़ाने का जरिया बनाने की बात कहती है, तब किसानों को यह समझना चाहिए कि यह काम पशुधन को साथ रखे बिना पूरा नहीं हाेगा. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पशुधन को अन्ना कुप्रथा से मुक्त‍ि दिलाए बिना किसान प्राकृतिक खेती नहीं कर सकते हैं.

अन्ना पशुओं की समस्या के निस्तारण हेतु उन्होंने किसानों से अपने गोवंश को अपने खेतों पर ही रखने की अपील की. जिससे गोमूत्र एवं गोबर का प्रयोग खेतों में ही हो एवं फसल की उत्पादन क्षमता तथा मिट्टी की उर्वर क्षमता में वृद्धि हो सके. शाही ने कहा कि सरकार का उद्देश्य किसानों को खुशहाल बनाना है. इसलिए इस काम में भी किसान, सरकार का सहयोग कर सहभागी बनें.

किसानों का सम्मान जरूरी

किसान गोष्ठी को संबोधि‍त करते हुए यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि बुंदेलखंड एवं विंध्य क्षेत्र प्रदेश के ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर काफी पहले से ही अनेक समस्याएं रही हैं. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पानी के संरक्षण के अभाव में बारिश का पानी बह जाता है. इस समस्या के निराकरण में भी किसानों की अग्रणी भूमिका है. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों काे सम्मानित कर अन्य किसानों को प्राेत्साहित करना जरूरी है. जिससे अन्य नागरिक भी किसानों से प्रेरित होकर जल संरक्षण के उपायों को अपनायें.

मिश्र ने क‍हा कि खेतों की उत्पादन क्षमता से जुड़ी कमियों एवं रोग दोषों को दूर करने का अहम उपाय प्राकृतिक खेती है. उन्होंने कहा कि इसीलिए सरकार, प्राकृतिक खेती एवं कृषि विविधीकरण की दिशा में काम करने के लिए किसानों का ध्यान आकर्षित कर रही है.

श्रीअन्न से हो सकता है सामाजिक कल्याण

गोष्ठी को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव कृष‍ि देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए श्रीअन्न की खेती एक बहुमूल्य उपाय हैं. उन्होंने कहा कि श्रीअन्न की उपज एवं उपभोग बढ़ाने में ही किसानों सहित समूचे समाज का कल्याण भी छुपा है. उन्होंने कहा कि श्रीअन्न में पौष्टिकता की जानकारी से जन जन को रूबरू कराया जा रहा है. जिससे किसान इसकी उपज को बढ़ा कर समृद्ध हो सकें और इसका उपभोग बढ़ा कर जन सामान्य सेहतमंद हो सकेगे.

चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीअन्न का सेवन करने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं हृदयाघात जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षित रहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि पोषण के भंडार के रूप में श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को श्रीअन्न के बीज की मिनी किट उपलब्ध करा रही है. उन्होंने कृष‍ि उत्पाद समूहों (एफपीओ) से श्रीअन्न के बीज उत्पादन में सरकार का सहयोग करने की अपील की.

चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीअन्न की खेती में ही समग्र सामाजिक कल्याण निहित है और इसकी खेती में बुंदेलखंड प्रमुख केंद्र बनेगा. श्रीअन्न की खेती से बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि अन्य सभी क्षेत्रों के किसानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सकता है. 

ज्वार का हब है झांसी जिला

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुंदेलखंड में झांसी जिला ज्वार की खेती का हब है. जनपद में लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है. इसमें रबी और खरीफ की फसल प्रमुखता से की जाती है. झांसी जिले में लगभग 1800 हेक्टेयर में श्रीअन्न की खेती की जाती है.

इसमें से 1770 हेक्टेयर में अकेले ज्वार की फसल बोई जाती है. इसमें 6000 हेक्टेयर जमीन का रकबा ऐसा है जिसमें किसान रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर आधुनिक पद्धति से खेती करते हैं. स्पष्ट है कि जिले में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं.

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