पूर्वांचल के किसानों के दिन बदलने लगे हैं. पूर्वांचल से पैदा होने वाली सब्जियां का निर्यात अरब देशों में पहले से हो रहा है. वही अब बनारसी लंगड़ा आम के बाद कटहल का निर्यात होने की तैयारी है. काशी में पैदा होने वाले कटहल का स्वाद अब दुबई के शेख भी चखेंगे. पहली बार दुबई से 2 क्विंटल पके हुए कटहल की मांग की गई है. कटहल के साथ ही परवल, बोडा भी भेजने की तैयारी है. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से बीते 3 साल से लंदन ,दुबई जैसे देशों में सब्जियों का निर्यात हुआ है. इस साल आम, जामुन, भिंडी ,लौकी, कुदुरु, बैगन, तोरई, हरी मिर्च ,मटर ,सूरन के निर्यात के बाद अब कटहल की मांग की गई है.
वाराणसी और आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर कटहल की पैदावार होती है.कटहल को मीट के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. कई गुणों से भरपूर कटहल की पहली बार मांग दुबई से की गई है. परवल और दूसरी हरी सब्जियों के साथ 2 क्विंटल पके हुए कटहल का निर्यात भी होगा. 4 किलो के गोल आकार वाले कटहल की मांग की गई है. वही किसानों की यहां इसे पकाने का काम भी किया जा रहा है जिससे कि अगले सप्ताह तक इसे भेजा जा सके.
वाराणसी के जिला उद्यान अधिकारी सुभाष कुमार ने बताया कि जिले में कटहर के पौधे का क्षेत्रफल अब बढ़ाने की तैयारी है. वही वाराणसी के कटहल की पहली बार दुबई से मांग की गई है. वही उद्यान विभाग के सहयोग से जिले के सभी विकासखंड में 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अच्छी प्रजाति के कटहल के पौधे लगाने की तैयारी की जा रही है जिससे किसानों को अनुदान भी दिया जाएगा.
वाराणसी से बीते 3 सालों से खाड़ी देशों और लंदन को सब्जियों का निर्यात किया जा रहा है. अब तक 70 टन सब्जियों का निर्यात हो चुका है. किसान हौसला प्रसाद ने बताया कि पहली बार दुबई से पके हुए कटहल की मांग की गई है जिसको लेकर किसान काफी उत्साहित है. निर्यात में सबसे ज्यादा काशी की मिर्च को पसंद किया जा रहा है.
कटहल खाने से सेहत को कई सारे लाभ मिलते हैं कटहल विटामिन ,मिनरल ,प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. वही इसमें विटामिन बी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा मैग्नीशियम ,पोटेशियम ,कापर, मैगनीज और फाइबर भी मौजूद रहता है. कटहल का सेवन से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है. ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है और हमारे हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है. इसके अलावा त्वचा को भी फायदा पहुंचाता है.
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