यूपी और एमपी सहित लगभग सभी राज्यों में जैविक और प्राकृतिक खेती को सरकार द्वारा भरपूर बढ़ावा दिया जा रहा है. किसानों काे Organic and Natural Farming से उपजे कृषि उत्पादों तथा इनके प्रसंस्करण से बने उत्पादों का बाजार में बेहतर दाम अब मिलने लगा है. जैविक उत्पादों से किसानों को हो रहे मुनाफे को देखते हुए यूपी एवं एमपी के बुंदेलखंड इलाके में भी किसान अब जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इस इलाके में जैविक कृषि उत्पादों की बढ़ती उपज को देखते हुए यहां Food Processing Units का विस्तार भी खूब हो रहा है. इस इलाके में Organic Products के बढ़ते बाजार को देखते हुए इनके परीक्षण की जरूरत महसूस की जाने लगी थी. इस जरूरत को पूरा करते हुए सरकार ने बुंदेलखंड में पहली Organic Testing Lab झांसी स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित करने का फैसला किया है.
झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एके सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस लैब के स्थापित होने से न केवल का किसानों बल्कि उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा. उन्होंने कहा कि इस लैब से किसान अपने जैविक उत्पादों के ऑर्गेनिक होने की पुष्टि करने वाला प्रमाणपत्र हासिल कर सकेंगे.
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डॉ. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में स्थापित होने वाली लैब से किसान एवं खाद्य प्रसंस्करण कारोबारी, किसी भी कृषि उत्पाद के लिए जैविक प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि इस लैब से मिले प्रमाणपत्र की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता होगी. यही वजह है कि इस लैब को जैविक उत्पादों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हुए स्थापित किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में उपजाए जा रहे लाल गेहूं और तुलसी सहित अन्य जैविक उत्पादों का अब किसान बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहे हैं. इनकी विश्व बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है. इनमें लाल गेहूं का जैविक दलिया, हरी मटर, तुलसी के उत्पाद, देसी अरहर की दाल और मूंगफली मुख्य रूप से शामिल हैं.
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उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में झांसी मंडल के उप निदेशक विनय यादव ने बताया कि बुंदेलखंड में अदरक सहित अन्य बागवानी फसलों का दायरा लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा इस इलाके में बेर सहित खट्टे फलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यादव ने कहा कि यूपी सरकार की हाल ही में लागू की गई खाद्य प्रसंस्करण नीति 2023 के तहत बुंदेलखंड इलाके के किसानों को यहां के विशिष्ट कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऑर्गेनिक टेस्टिंग लैब शुरू होने से बुंदेलखंड में प्रमाणित जैविक कृषि उत्पादों की बाजार मांग बढ़ेगी. साथ ही बाजार में जैविक उत्पाद के नाम पर बेचे जा रहे फर्जी उत्पादों पर नकेल भी कसेगी. इससे स्थानीय बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ना तय है. इससे इन उत्पादों का बेहतर दाम किसानों को मिलेगा. यह किसानों की आय बढ़ाने में सहायक साबित होगा.