महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने किसानों के लिए एक अहम फैसला लेते हुए कोल्ड स्टोरेज की सरकारी लागत 12,500 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 17,500 रुपये प्रति टन करने का निर्देश दिया है. ताकि किसान अपना व्यवसाय और आय बढ़ा सकें. सरकार अब इसी हिसाब से मदद देगी. धनंजय मुंडे ने यह भी कहा कि अगर 3000 मीट्रिक टन या उससे अधिक क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज को एक्सप्रेस फीडर की बजाय पास के सरकारी सौर ऊर्जा संयंत्रों या इसी तरह की प्रणालियों से जोड़ा जाता है, तो बिजली की खपत कम हो जाएगी. इससे किसानों की बचत होगी. विश्व बैंक के अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुंडे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन (SMART) परियोजना के तहत किसानों के अच्छे दिन आएंगे.
मुंडे ने कहा कि इस परियोजना के तहत विश्व बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए कृषि उत्पादन कंपनियों की संख्या जिलेवार निर्धारित की जाती है. लेकिन अब विश्व बैंक के अधिकारियों से कहा गया है कि मराठवाड़ा और विदर्भ के सभी जिलों में वो इन कंपनियों की संख्या की शर्त में ढील दें. इस परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है.
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कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि मराठवाड़ा और विदर्भ कम वर्षा और कम आय वाले क्षेत्र हैं. इन क्षेत्रों में कृषि उपज उत्पादकों का उत्पादन अधिक से अधिक बढ़ाया जाना चाहिए, इस संबंध में जिलेवार संख्या की सीमा को रद्द किया जा रहा है. बैठक में विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी आदर्श कुमार, मित्र के सीईओ प्रवीण परदेशी, कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुप कुमार और स्मार्ट परियोजना निदेशक कौस्तुभ दिवेगांवकर मौजूद रहे.
मुंडे ने कहा कि महाराष्ट्र में सोयाबीन, कपास और हल्दी समेत विभिन्न खाद्य उत्पादों की प्रोसेसिंग कर कृषि करोबार करने वाली कंपनियों के माध्यम से बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाता है. अगर इन उत्पादों को सीधे तौर पर प्रसिद्ध प्रतिष्ठित कंपनियों से जोड़ा जाए और साथ ही कंपनियों के लिए अमेज़ॅन जैसे आसानी से सुलभ बाज़ार खोले जाएं तो किसान अधिक कमाई कर सकते हैं. मुंडे ने निर्देश दिया है कि विश्व बैंक, स्मार्ट और कृषि विभाग ऐसी गुणवत्ता वाली कृषि उत्पादन कंपनियों, वैश्विक कंपनियों और विपणन कंपनियों के साथ एक संयुक्त बैठक और कार्यशाला आयोजित करें और आगे इस बारे में निर्णय लें. मुंडे ने यह भी निर्देश दिया है कि विदर्भ-मराठवाड़ा में चारे की संभावित समस्या के कारण कृषि उत्पादन कंपनियों के माध्यम से पोल्ट्री उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
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