Onion Price: व‍िधानसभा चुनाव के बीच प्याज के थोक दाम ने बनाया र‍िकॉर्ड, क्या है वजह और कब म‍िलेगी राहत? 

Onion Price: व‍िधानसभा चुनाव के बीच प्याज के थोक दाम ने बनाया र‍िकॉर्ड, क्या है वजह और कब म‍िलेगी राहत? 

Mandi Bhav: महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केट‍िंग बोर्ड के अनुसार 6 नवंबर को राज्य की 42 मंड‍ियों में प्याज की नीलामी हुई थी. इसमें से 17 मंड‍ियों में थोक दाम 6000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल और उससे अध‍िक दाम रहा. जान‍िए, देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य में इतनी तेजी से दाम बढ़ने की वजह क्या है और उपभोक्ताओं को कब तक राहत म‍िलने की उम्मीद है? 

क्यों बढ़ रहा है प्याज का थोक दाम. क्यों बढ़ रहा है प्याज का थोक दाम.
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Nov 07, 2024,
  • Updated Nov 07, 2024, 11:51 AM IST

व‍िधानसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में प्याज के थोक दाम ने र‍िकॉर्ड बना द‍िया है. यहां प्याज का मंडी भाव 7000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक की ऊंचाई पर पहुंच गया है, जबक‍ि यह देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. यहां दूसरे सूबों के मुकाबले प्याज का भाव कम रहता है. लेक‍िन इस साल यहां का दाम देखकर ऐसा लगता है क‍ि कम से कम द‍िसंबर मध्य तक प्याज के भाव उपभोक्ताओं को परेशान करेंगे. चुनावी चक्कर में फंसी सरकार अभी उपभोक्ताओं को राहत देने के ल‍िए एक्सपोर्ट बैन नहीं कर सकती, क्योंक‍ि ऐसा होते ही क‍िसान लोकसभा चुनाव की तरह व‍िधानसभा चुनाव का गण‍ित बदल सकते हैं. बहरहाल, क‍िसान मौके का फायदा उठा रहे हैं. वो सरकारी नीत‍ियों की वजह से हुए पुराने घाटे की भरपाई कर रहे हैं.

महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केट‍िंग बोर्ड के अनुसार 6 नवंबर को राज्य की 42 मंड‍ियों में प्याज की नीलामी हुई थी. इसमें से 41 में अध‍िकतम दाम 3000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल से ऊपर ही रहा. जबक‍ि, 17 मंड‍ियों में 6000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल और उससे अध‍िक दाम रहा. पुणे की शिरूर मंडी में प्याज का अध‍िकतम थोक भाव 7000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया. यहां औसत दाम भी 4600 रुपये रहा, जबक‍ि यहां 1037 क्व‍िंटल प्याज ब‍िकने के ल‍िए आया था. हालांक‍ि, अब बहुत कम क‍िसानों के पास प्याज बचा हुआ है इसल‍िए अच्छे दाम का फायदा सभी क‍िसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है. 

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क्यों कम हुई आवक 

महाराष्ट्र की मंड‍ियों में इस वक्त ज्यादातर प्याज रबी सीजन वाला आ रहा है, ज‍िसे क‍िसान मई-जून में स्टोर करके रखे हुए थे. रबी सीजन वाला प्याज ही स्टोर करके रखने लायक होता है. इस वक्त तक आमतौर पर राज्य में अर्ली खरीफ सीजन का प्याज ब‍िकने आने लगता था, लेक‍िन बार इसमें देरी हुई है, क्योंक‍ि वहां पर हुई बार‍िश ने खेल खराब कर द‍िया है. इस वजह से मंड‍ियों में आवक कम है और दाम में र‍िकॉर्ड तेजी देखी जा रही है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के मुताबिक 6 नवंबर को स‍िर्फ दो मंड‍ियों सोलापुर और पुणे में प्याज आवक 10 हजार क्व‍िंटल से अध‍िक रही.

कब म‍िलेगी राहत

प्याज की खेती, न‍िर्यात और दाम पर नजर रखने वाले व‍िकास स‍िंह का कहना है क‍ि जब तक महाराष्ट्र की मंड‍ियों में आवक नहीं बढ़ेगी तब तक दाम में नरमी नहीं द‍िखेगी. क्योंक‍ि देश के कुल उत्पादन में यहां की ह‍िस्सेदारी 43 फीसदी है. राज्य की मंड‍ियों में नए प्याज की आवक नवंबर के अंत तक बढ़ने का अनुमान है, तभी कुछ राहत म‍िल सकती है. नवंबर के अंत तक आवक बढ़ेगी तो उसका ग्राउंड तक असर होने पर आधा द‍िसंबर बीत जाएगा. हालांक‍ि, द‍िल्ली के मार्केट में राजस्थान के अलवर से नए प्याज की आवक शुरू हो चुकी है. 

महाराष्ट्र की मंड‍ियों में प्याज का थोक दाम 

मंडी आवकन्यूनतम अध‍िकतमऔसत 
कोल्हापुर4018100066003000
श्रीपुर (पुणे)10371000 70004600
सतारा206100051003000
सोलापुर44379 50069003000
बारामती726200063004500
पुणे11628220062003700
मंगलवेढा (सोलापुर) 746 20060003410
Source:msamb   #क्व‍िंटल

प्याज एक्सपोर्ट और ड्यूटी 

प्याज का दाम राजनीत‍िक तौर पर बे‍हद संवेदनशील मुद्दा है. दाम बढ़ जाए तो उपभोक्ता नाराज और कम हो जाए तो क‍िसान नाखुश. दोनों स्थ‍ित‍ियों में सत्ताधारी पार्ट‍ियों को नुकसान की संभावना रहती है. बहरहाल, केंद्र सरकार ने उपभोक्ता ह‍ितों को ऊपर रखकर प्याज के दाम पर न‍ियंत्रण रखने का फैसला क‍िया. इसी मकसद से अगस्त 2023 में 40 परसेंट एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी. ज‍िसका महाराष्ट्र के क‍िसानों और व्यापार‍ियों ने जमकर व‍िरोध क‍िया. लेक‍िन, ड्यूटी कम नहीं हुई. 

सरकार को इस पर भी चैन नहीं म‍िला और उसने 7 द‍िसंबर 2023 को एक्सपोर्ट बैन कर द‍िया. ज‍िसकी वजह से दाम कम हो गए थे और क‍िसानों को आर्थ‍िक नुकसान होने लगा. गुस्साए क‍िसानों ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्ट‍ियों से नाराजगी द‍िखानी शुरू कर दी थी. इसल‍िए बीच चुनाव में 4 मई 2024 को सरकार ने एक्सपोर्ट खोल द‍िया. लेक‍िन उस पर 550 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम न‍िर्यात मूल्य (MEP) की शर्त लगा दी थी. अब व‍िधानसभा चुनाव में क‍िसानों को साधने के ल‍िए सरकार ने 13 स‍ितंबर को न स‍िर्फ एमईपी पूरी तरह से हटा दी बल्क‍ि एक्सपोर्ट ड्यूटी घटाकर 20 फीसदी कर दी.  

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