रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई जोरशोर से चल रही है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बुवाई से पहले किसान दो बातों का ध्यान रखें. अच्छी किस्मों का चुनाव करें और बीज प्रमाणित सोर्स से ही खरीदें. किस्मों की बात चली है तो एचडी (हाई ब्रीड दिल्ली) 3226 का जिक्र जरूर होगा. यह किस्म किसानों के लिए दो वजहों से फायदेमंद है. पहला यह कि इसमें ग्लूटेन स्ट्रांग है और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा है. दूसरे पैदावार बहुत अच्छी है.
गेहूं में आमतौर पर 10 फीसदी तक प्रोटीन पाया जाता है, लेकिन इसमें 12.8 फीसदी है. पूसा के प्रिंसिपल साइंटिस्ट राजबीर यादव के मुताबिक ग्लूटेन स्ट्रांग होने की वजह से ब्रेड बनाने वाली कंपनियों के लिए यह किस्म काफी सुटेबल है. इसमें पैदावार भी अच्छी है. प्रति हेक्टेयर 79.6 क्विंटल तक की पैदावार ली जा सकती है. हालांकि, औसत उपज 57.5 क्विंटल तक देखी गई है.
यादव के मुताबिक गेहूं की एचडी-3226 वेराइटी नार्थ वेस्टर्न प्लेन जोन के लिए रिलीज की गई है. यानी इसका इस्तेमाल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर), पश्चिम यूपी (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश का उना जिला व पोंटा वैली और उत्तराखंड के तराई रीजन के किसान कर सकते हैं. इसे पकने में अधिकतम 142 दिन का वक्त लगता है.
यह किस्म गेहूं में लगने वाले कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी है. इसमें पीला, भूरा और काले रस्ट नहीं लगेगा. यही नहीं करनाल बंट, पाउडर की तरह फफूंदी, श्लथ कंड और पद गलन रोग के लिए भी अत्यधिक प्रतिरोधी है. दाने का आकार अच्छा होता है. किसान अभी इसकी बुवाई कर सकते हैं. इसकी बुवाई का सही समय 5 से 25 नवंबर तक होता है. प्रति हेक्टेयर 100 किलो बीज की बुवाई होती है. अधिकतम उपज के लिए इस किस्म की बुवाई अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में कर देनी चाहिए.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आनुवंशिकी डिवीजन ने इसे विकसित किया है. डेवलप करने वाली टीम में आर यादव, केबी गायकवाड़, जीपी सिंह, एम कुमार, पीके सिंह, एसवीएस प्रसाद, जेबी सिंह, एम शिवसामी, एन जैन, आरके शर्मा, विनोद, जेबी शर्मा, एएम सिंह, एस कुमार, एके शर्मा, एन कुमार, टीआर दास, एसके झा, एन माल्लिक, हरिकृष्णा, एम निरंजना, के रघुनंदन, पी जयप्रकाश, वीके विकास, डी अंबाती, आरएम फुके, डी. पाल, एम. पटियाल, आरएन यादव और केवी प्रभु शामिल हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक लगभग 46 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. बुवाई की रफ्तार पिछले साल से अधिक है. उम्मीद है कि पिछले साल गेहूं की भारी मांग की वजह से इस साल किसान इसकी खेती पर जोर देंगे. राजस्थान और यूपी में बुवाई दूसरे सूबों के मुकाबले तेजी से चल रही है. भारत में 305 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है. ऐसे में अभी ज्यादातर किसान बुवाई की तैयारी में हैं.