Aalu Jhulsa Rog: क्या होता है झुलसा रोग, सब्जियों के राजा आलू को करता है नुकसान, बंपर पैदावार के लिए किसान भाई जान लें इसका निदान

Aalu Jhulsa Rog: क्या होता है झुलसा रोग, सब्जियों के राजा आलू को करता है नुकसान, बंपर पैदावार के लिए किसान भाई जान लें इसका निदान

Potato Blight Disease: इन दिनों शीतलहर प्रचंड पर है और ठंड का पारा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. पाला पड़ने से आलू की फसल पर खतरा मंडराने लगा है. किसानों को फसल में झुलसा रोग लगने का डर सता रहा है. इस रोग में पूरा पौधा झुलस जाता है.

Potato Blight DiseasePotato Blight Disease
क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Jan 09, 2025,
  • Updated Jan 09, 2025, 11:10 AM IST

    Potato Farming Tips: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और शीतलहर जारी है. इससे जहां आम लोग परेशान हैं तो वहीं सब्जियों के राजा आलू (Potato) की खेती करने वाले किसानों को भी एक चिंता सता रही है. दरअसल, अन्नदाताओं को आलू की फसल में झुलसा रोग होने का डर सता रहा है. आइए जानते हैं आखिर क्या है झुलसा रोग और इस बीमारी से किसान भाई अपनी आलू की फसल को कैसे बचा सकते हैं?

    आलू को तैयार होने में लगता है इतना समय 

    झुलसा रोग (Blight Disease) के बारे में समझने से पहले आइए जान लेते हैं आलू की बुवाई कब की जाती है और इसकी खुदाई कब की जाती है. आलू मिट्टी के अंदर पैदा होने वाली एक कंद फसल है. हमारे देश में आलू की बुवाई साल में दो बार की जाती है. एक बार इसकी अगेती और दूसरी बार पछेती खेती की जाती है. आलू की बुवाई सिंतबर से लेकर दिसंबर तक की जाती है.

    आलू की फसल की अगेती बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय 15 से 25 सिंतबर और पछेती बुवाई के लिए 15 से 25 अक्टूबर होता है. कई किसान इसकी पछेती बुवाई 15 नंवबर से लेकर 25 दिसंबर तक भी करते हैं. आलू को तैयार होने यानी पकने में 60 से 90 दिन लगते हैं. आलू की कुछ किस्मों को पकने में इससे ज्यादा समय भी लग सकता है. फसल पकने पर आलू खुदाई का उत्तम समय मध्य फरवरी से मार्च के दूसरे सप्ताह तक का होता है. 

    क्या होता है झुलसा रोग

    ठंड के मौसम में आलू की फसल में झुलसा रोग लगता है. यह फंगस से होने वाली एक बीमारी है, जो फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस नामक फंगस से फैलती है. झुलसा एक संक्रामक बीमारी है, जो एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलती है. यह रोग आलू की पत्तियों से लेकर उसकी जड़ों तक पर बुरा प्रभाव डालता है. 

    कैसे जानें कि लग गया है झुलसा रोग

    झुलसा बीमारी की पहचान किसान भाई आलू की पत्तियों को देखकर कर सकते हैं. यदि पत्तियों में धब्बे दिखाई दे रहे हैं या आलू की फसल झुलसी दिखाई दे रही है तो समझ जाएं कि झुलसा बीमारी लग गई है. झुलसा बीमारी सबसे पहले मिट्टी के पास वाली आलू की पत्तियों में लगती है. इसके बाद यह रोग फैलकर ऊपर की ओर बढ़ने लगता है. आलू की पत्तियों पर बिखरे हुए कोणीय आकार छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे या चकत्ते बनने लगते हैं. इससे आलू की फसल खराब हो जाती है. यदि समय रहते झुलसा रोग का इलाज न किया जाए तो यह बीमारी एक खेत से दूसरे खेत तक फैल सकती है.

    कितने प्रकार का होता है झुलसा रोग

    झुलसा रोग दो प्रकार का होता है. एक अगेती झुलसा रोग (Early Blight) और दूसरा पिछेती झुलसा रोग (Late Blight). अगेती झुलसा बीमारी में आलू की पत्तियों पर सबसे पहले छोटे-छोटे काले दाने निकलने लगते हैं और ये दाने धीरे-धीरे आपस में मिलकर पूरी पत्ती को खराब कर देते हैं. पिछेती झुलसा बीमारी आलू के ऊपरी पत्तियों को सबसे पहले अपने गिरफ्त में लेती है. ऊपर के पत्ते सूखने लगते हैं और धीरे-धीरे यह बीमारी ऊपर की पत्तियों से लेकर जड़ों तक में फैल जाती है. 

    क्यों होता है झुलसा रोग 

    झुलसा रोग होने के कई कारण हैं. तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण झुलसा रोग हो सकता है. तापमान कम और आर्द्रता अधिक होने पर यह बीमारी तेजी से फैलती है.आलू की फसल के आसपास की गंदगी और नम वातावरण के चलते फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस नामक फंगस तेजी से पनपता है. इसके अलावा बिना ट्रीट किए बीज और संक्रमित मिट्टी भी झुलसा रोग का कारण बनती है. 

    झुलसा रोग से कैसे करें फसल का बचाव 

    1. किसान भाई झुलसा रोग की रोकथाम और उपचार के लिए समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें. 
    2. फसल कि नियमित देखभाल करें. झुलसा रोग का लक्षण दिखे तो तुरंत उपचार करें. 
    3. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. जैविक और रासायनिक उपचारों का सही अनुपात में उपयोग करें.
    4. आलू की बुवाई से पहले बीज को फंगसाइड से ट्रीट करें. 
    5. जिस भी पौधे में झुलसा रोग प्रचंड रूप धारण कर चुका है उसको तुरंत खेत से हटा दें.
    6. किसान भाई अपनी खेतों को खरपतवार मुक्त एवं साफ-सुथरा रखें.
    7. झुलसा रोग लगने पर फसल पर नाटियों 0.5% का फॉलियर स्प्रे करें. संक्रमण बढ़ने पर फंगसाइड का छिड़काव करें.
    8. झुलसा रोग से बचाव के लिए खेतों में मैंकोजेब का छिड़काव करें.
    9. आलू की फसल बोने के 45 दिन बाद मैंकोजेब का छिड़काव करना चाहिए. 
    10. यदि रोग की गंभीरता 75 प्रतिशत से अधिक हो तो तने को काटकर गड्ढों में दबा दें.
    11. खेत में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें और संक्रमित पौधों को एकत्र कर जला दें. 
    12. आलू की फसल के पास तंबाकू, टमाटर, मिर्च और बैंगन की फसल नहीं लगाएं क्योंकि ये फसलें बीमारी की वाहक होती हैं.
    13. झुलसा रोग से बचाव के लिए जैविक तरीका अपनाएं. 2 मिलीग्राम नीम ऑयल को 1 लीटर पानी के साथ मिलाकर एक सप्ताह के अंतराल में छिड़काव करें. 
    14. फसल चक्र को अपनाएं यानी हर साल खेत में अलग-अलग फसल उपजाएं. इससे मिट्टी में फंगस के पनपने की संभावना कम होती है.

     

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