पिछले एक पखवाड़े के दौरान जलगांव क्षेत्र के खानदेश में बारिश के कारण फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. इस बीच सोयाबीन फसल की थ्रेसिंग चल रही है. यानी कटाई के बीच उसका सीड निकाला जा रहा है. ऐसे में अगर दोबारा बारिश हुई तो चोपड़ा, जलगांव, यावल, जामनेर, शिरपुर के धुले, नंदुरबार में सोयाबीन का ज्यादा नुकसान बढ़ेगा. इन सभी जगहा में कटाई और थ्रेसिंग चल रही है. सोयाबीन उत्पादकों को उम्मीद है कि बारिश रुकेगी. महाराष्ट्र में पहले सूखे से फसल खराब हुई थी और अब तैयार हो गई है तो फिर बारिश उसके लिए काल बन गई है. उधर, बाजार में दाम भी नहीं मिल रहा है.
इस साल की शुरुआत में कम बारिश के कारण बुआई कम हुई थी. जुलाई में भी बारिश ने खेतों को तरसाया. अगस्त में अंत में बारिश हुई है. सितंबर में भारी बारिश से फसल को नुकसान शुरू हो गया. फसल की मड़ाई मध्य सितम्बर के बाद ही की जाती है. इससे संकट पैदा हो गया है. कुछ इलाकों में फसलों को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा है. कुछ इलाकों में अब भी रुक-रुक कर बारिश हो रही है. इस सप्ताह हर दिन खानदेश के कुछ हिस्सों में भारी, मध्यम बारिश हुई है. जिससे किसान संकट में हैं.
ये भी पढ़ें: Sugarcane Price: किसानों के आक्रोश से गन्ना बिक्री मामले में बैकफुट पर सरकार, वापस हुआ फैसला
कभी सूखे और कभी ज्यादा बारिश से फसलों पर इसका बुरा असर पड़ा है. परिणामस्वरूप उत्पादन में कमी आएगी. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. कुछ इलाकों में पिछले सप्ताह थ्रेसिंग हुई थी. एक एकड़ में एक से डेढ़ क्विंटल सोयाबीन प्राप्त हुई. किसानों का कहना है कि मेहनत, मड़ाई और अन्य खर्च के मुकाबले पैदावार बहुत कम है. ऐसे में इस साल फसल मौसम की भेंट चढ़ गई ळै. जलगांव, चोपड़ा, जामनेर, यावल, पचोरा आदि में किसान मौसम की मार से परेशान हैं. थ्रेसिंग के लिए शुष्क, साफ़ वातावरण आवश्यक है. लेकिन, मौसम प्रतिकूल है. इसलिए वो दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
जलगांव जिले में 28 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की उम्मीद थी. लेकिन बुवाई बहुत अच्छी नहीं हो सकी थी. प्राकृतिक समस्या बरकरार रहने के कारण इस साल भी सोयाबीन की फसल मिट्टी हो गई है. अब किसानों का सारा ध्यान बाजार पर है. अच्छा दाम मिलेगा तो नुकसान की भरपाई हो जाएगी वरना इस साल घाटा सहना पड़ेगा. अभी ज्यादातर मंडियों में इसका दाम एमएसपी से कम ही है. अगर दाम इसके ऊपर नहीं गया तो किसानों को इस बार इसकी खेती नुकसान दे जाएगी. किसानों का कहना है कि इस साल उन्हें अभी ठीक दाम नहीं मिल रहा है.
ये भी पढ़ें: Benefits of Mushrooms: खेती के बारे में बहुत सुना होगा आपने, अब मशरूम के फायदों को भी जान लीजिए