अली नीनो का असर धीरे- धीरे दिखने लगा है. औसत से कम बारिश की वजह से कई राज्यों में सुखा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. खास कर तमिलनाडु में इसका असर कुछ ज्यादा ही दिख रहा है. यहां पर जलाशयों में पानी का स्तर काफी कम हो गया है. इससे सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है. धर्मपुरी जिले में बारिश के अभाव में गन्ने की फसल को नुकसान पहुंच रहा है. इससे किसानों में गन्ना उत्पादन में गिरावट की आशंका बढ़ गई है.
टीएनआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मपुरी जिला प्रशासन का कहना है कि जिले में बहुत कम बारिश हुई है. अभी तक केवल 200.26 मिमी ही बरसात दर्ज की गई है. हर साल 942 मिमी से अधिक बारिश होती है. ऐसे में किसानों ने गर्मी आने से पहले जल संकट से निपटने के लिए प्रयाप्त जल व्यस्था करने की मांग की है. आप कम बारिश का अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं, जिसे के 8 में से 5 बांधों में 40 प्रतिशत से भी कम पानी बचा है. अगर समय सहते बारिश नहीं होती है, तो गर्मी के मौसम में जल स्तर और तेजी के साथ नीचे गिरेगा.
दरअसल, धर्मपुरी जिले की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से गन्ने की खेती पर निर्भर है. यहां पर किसान सबसे अधिक रकबे में गन्ने की ही खेती करते हैं. ऐसे में अगर कम बारिश होती है, तो किसानों की चिंता बढ़ जाती है. जिला प्रशासन के मुताबिक, जिले में अब तक केवल 189 मिमी पूर्वोत्तर मानसून की बारिश हुई है.
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पलाकोड के एक किसान आर गणेश ने कहा कि पहले दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसून का आगम समय पर होता था. इससे प्रयाप्त मात्रा में बारिश होती थी, जिससे जिले के सभी बांध पानी से लबालब भर जाते थे. लेकिन इस साल बारिश बहुत ही कम हुई. लगभग सभी झीलों और तालाबों में बहुत कम या बिल्कुल भी पानी नहीं है. ऐसे में इस साल गन्ने के उत्पागन में गिरावट की आशंका बढ़ गई है.
नल्लमपल्ली के एक अन्य किसान के सेल्वराज ने बताया कि इस साल बारिश कम हुई है. दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते जिले में केवल 335.89 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य बारिश 403 मिमी कम है. वहीं, उत्तर-पूर्वी मानसून की स्थिति बहुत कमजोर है. ऐसे में कुछ समय बाद सिंचाई के लिए जल संकट खड़ा हो जाएगा. इसलिए जिला प्रशासन को गर्मियों में सिंचाई के लिए किसानों को समय पर पानी मुहैया कराना चाहिए. हालांकि, धर्मपुरी प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि इस साल पूर्वोत्तर मानसून के आने में देरी हुई है. इसके बावजूद आगामी महीने में भारी बारिश की संभावना है. इसलिए किसानों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है.
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