केसर और कश्मीर एक दूसरे के बिना अधूरे है और हर साल की शुरुआत से ही कश्मीर के किसानों को इसकी खेती से काफी उम्मीदें रहती हैं. इस साल कश्मीर में केसर की खेती की के लिए शुरुआत काफी अच्छी करार दी जा रही है. इसकी खेती के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण होता है और सही समय पर हुई बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार केसर के लिए यह बारिश खास तौर पर फायदेमंद रही है. वहीं यह बात भी सच है कि इस मौसम में इस क्षेत्र में बाकी फसलों के सामने आने वाली चुनौतियों से यह बिल्कुल अलग है.
कश्मीर घाटी में सबसे अच्छी क्वालिटी केसर का उत्पादन होता है और यहां का केसर पूरी दुनिया में मशहूर है. कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार केसर के खेतों में हाल ही में हुई बारिश से सकारात्मक वृद्धि देखने को मिली है. समय पर हुई बारिश की वजह से केसर की क्वालिटी और उपज में इजाफा होने की उम्मीदें हैं. माना जा रहा है कि इस बार स्थानीय किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा हो सकता है. किसान मुजफ्फर अहमद के हवाले से एजेंसी ने बताया, 'यह किसानों के लिए सच में खुशी का मौका है. केसर एक बहुत ही नाजुक फसल है और इसे समय पर बारिश की जरूरत होती है. दो हफ्ते पहले हुई बारिश से फसल को बढ़ने में मदद मिलेगी जिससे इसकी क्वालिटी और मात्रा में भी वृद्धि होगी.'
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वहीं जहां केसर की खेती करने वाले किसान खुश हैं तो बाकी किसान दुखी हैं. इस साल लंबे समय तक शुष्क मौसम की वजह से सब्जियों और धान की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. मौसम की शुरुआत में लंबे समय तक सूखे की वजह से खासतौर पर सब्जियों की खेती प्रभावित हुई है और इनकी वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस वजह से अब उपज में कमी की आशंका है. इसके चलते स्थानीय किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं और वो काफी चिंतित हैं. हालांकि केसर किसानों ने भी लंबे समय तक शुष्क मौसम के बारे में अपनी चिंता जताई थी. उनका कहना था कि जिस समय फसल अपनी शुरुआती अवस्था में होती है उसे लगातार बारिश की जरूरत होती है.
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कश्मीर के केसर उत्पादक संघ के अध्यक्ष अब्दुल मजीद वानी ने कहा, 'अभी तक फसल पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि, केसर को 20 अगस्त के बाद और सितंबर में लगातार बारिश की जरूरत है.' उत्पादकों का दावा है कि पिछले कुछ सालों में उपज में जो इजाफा दर्ज किया गया है वह घाटी में समय-समय पर होने वाली बारिश का नतीजा है. शुष्क मौसम अक्सर कश्मीर में केसर की खेती के लिए चुनौतियां खड़ी करता रहा है. गौरतलब है कि सरकार ने इन चुनौतियों को कम करने और कश्मीर में केसर की खेती को फिर से जिंदा करने के लिए साल 2010 में 4.1 बिलियन रुपये के नेशनल केसर मिशन (एनएमएस) की शुरुआत की थी.