कुसुम की खेती किसानों को मालामाल बना सकती है. कुसुम के फूलों और बीजों का उपयोग खाद्य तेल बनाने में किया जाता है. इसका उपयोग कॉस्मेटिक उत्पाद, मसाले और आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी किया जाता है. कुसुम के फल के बीज से वनस्पति तेल निकालने के लिए इसकी खेती की जाती है. इसकी की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. किसानों को फायदा हो इसलिए कृषि विभाग की तरफ से किसानों के लिए कुसुम की कई ऐसी किस्म को विकसित किया गया है, जिसमें तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है.
कुसुम की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए कुसुमकी खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
भारत में कुसुम की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और बिहार शामिल हैं. भारत कुसुम का सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं. भारत में मुख्य रुप से कुसुम के फल की बीजों से निकले तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता हैं.
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इस किस्म की औसत पैदावार 4 से 5 क्विंटल प्रति हेक्टर तक की होती है. ये किस्म 155 से 160 दिनों में पक कर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके फूल पीले रंग के और बीज सफेद रंग के होते हैं. इस किस्म के दानों में 31 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है.
यह किस्म 155 से 165 दिनों में पककर तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 8 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है.इस किस्म में फूल पीले रंग के होते हैं तथा बीज मध्यम आकार एवं सफेद रंग के होते हैं. बीजों में 31.7 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है.
यह किस्म 135-140 दिनों में पकक तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 8 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म के फूल सफेद और दाने बड़े होते तथा बीज मध्यम आकार एवं सफेद रंग के होते हैं. बीजों से तेल की प्रतिशत मात्रा 31 तक निकलता हैं.
यह किस्म 135-140 दिनों में पककर तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 9 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म में पीले फूल बिना कांटेदार और रंग के लाल होते है.तेल की प्रतिशत मात्रा 32 मिलता है.
यह सबसे अच्छी किस्म मनी जाती है ये 165 दिन दिनों में पककर तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म में पीले फूल होते हैं और उकटा के प्रति प्रतिरोधक पाये जाते है.
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