ये हैं कुसुम की 5 सबसे उन्नत किस्में, तेल की मात्रा मिलती है भरपूर

ये हैं कुसुम की 5 सबसे उन्नत किस्में, तेल की मात्रा मिलती है भरपूर

किसान कुसुम की खेती भी अच्छी कमाई कर सकते हैं, किसान कुसुम की सही किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. जानिए कुसुम  की ऐसी ही 5 किस्मों के बारे में, जिनकी खेती से किसान को अच्छा लाभ मिल सकता है.

 जानिए कुसुम की अच्छी किस्मों के बारे में जानिए कुसुम की अच्छी किस्मों के बारे में
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Nov 16, 2023,
  • Updated Nov 16, 2023, 4:50 PM IST

कुसुम की खेती किसानों को मालामाल बना सकती है. कुसुम के फूलों और बीजों का उपयोग खाद्य तेल बनाने में किया जाता है. इसका उपयोग कॉस्मेटिक उत्पाद, मसाले और आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी किया जाता है. कुसुम के फल के बीज से वनस्पति तेल निकालने के लिए इसकी खेती की जाती है. इसकी की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. किसानों को फायदा हो इसलिए कृषि विभाग की तरफ से किसानों के लिए कुसुम की कई ऐसी किस्म को विकसित किया गया है, जिसमें तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है. 

कुसुम की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए कुसुमकी खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

भारत में कुसुम की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में कुसुम की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और बिहार शामिल हैं. भारत कुसुम का सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं. भारत में मुख्य रुप से कुसुम के फल की बीजों से निकले तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता हैं.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी ने 86 लाख क‍िसानों को द‍िया द‍िवाली का तोहफा, खाते में पहुंचे 1720 करोड़ रुपये 

कुसुम की उन्नत किस्में

अक्षागिरी 59-2 

इस किस्म की औसत पैदावार 4 से 5 क्विंटल प्रति हेक्टर तक की होती है. ये किस्म 155 से 160 दिनों में पक कर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके फूल पीले रंग के और बीज सफेद रंग के होते हैं. इस किस्म के दानों में 31 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है.

ए 300 

 यह किस्म 155 से 165 दिनों में पककर तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 8 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है.इस किस्म में फूल पीले रंग के होते हैं तथा बीज मध्यम आकार एवं सफेद रंग के होते हैं. बीजों में 31.7 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है.

जे.एस.एफ.-1

यह किस्म 135-140 दिनों में पकक तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 8 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म के फूल सफेद और दाने बड़े होते तथा बीज मध्यम आकार एवं सफेद रंग के होते हैं. बीजों से तेल की प्रतिशत मात्रा 31  तक निकलता हैं.      

जे.एस.आई. -7

 यह किस्म 135-140 दिनों में पककर तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 9 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म में पीले फूल बिना कांटेदार और रंग के लाल होते है.तेल की प्रतिशत मात्रा 32 मिलता है.

मालवीय कुसुम ( एच.यू.एस.-305 )

 यह सबसे अच्छी किस्म मनी जाती है ये 165 दिन दिनों में पककर तैयार होती हैं. इसकी औसत पैदावार 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म में पीले फूल होते हैं और उकटा के प्रति प्रतिरोधक पाये जाते है.

ये भी पढ़ें: Onion Prices: खरीफ फसल की आवक में देरी, महाराष्ट्र में बढ़ी प्याज की थोक कीमत 


 

MORE NEWS

Read more!