महाराष्ट्र के किसानों की केंद्र सरकार से नाराजगी सिर्फ प्याज के कम दाम को लेकर नहीं है बल्कि यहां सोयाबीन की कीमत भी बड़ा मुद्दा है. इस साल किसानों को सोयाबीन का एमएसपी भी नहीं मिल पा रहा है, जिससे वो काफी निराश हैं. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 5 जून को राज्य की 62 मंडियों में सोयाबीन की नीलामी हुई, जिसमें से सिर्फ 6 में ही किसानों को अधिकतम दाम एमएसपी के स्तर तक मिला. राज्य की अधिकांश मंडियों में सोयाबीन का दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है, जबकि 4600 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी है. किसान इस साल सोयाबीन की खेती करके पछता रहे हैं.
सोयाबीन एक तिलहन फसल है, जिसकी जितनी ज्यादा खेती हो वह देश के लिए अच्छा है, क्योंकि हमारा देश खाद्य तेलों का बहुत बड़ा आयातक है. इसके बावजूद किसानों को एमएसपी भी नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि तिलहन फसल होने की वजह से सोयाबीन का अच्छा दाम मिलना चाहिए था लेकिन सरकार ने अपनी नीतियों से इसका दाम कम करवा दिया है. परभणी की सेलू मंडी में तो सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 2250 रुपये प्रति क्विंटल ही रह गया है, जबकि आवक सिर्फ 182 क्विंटल की हुई थी.
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राज्य की दो मंडियों लासलगांव और लासलगांव विंचुर में सोयाबीन का दाम लगातार सिर्फ 3000 से 3500 रुपये के बीच में बना हुआ है, जो एमएसपी से काफी कम है. एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 5 जून को सिर्फ 378 क्विंटल की आवक हुई. इसके बावजूद न्यूनतम दाम सिर्फ 3500 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि लासलगांव विंचुर में तो सिर्फ 3000 रुपये का दाम रहा. दाम इतना कम तब है जब किसी भी मंडी में 10 हजार क्विंटल से अधिक आवक नहीं हुई है. सोयाबीन एक प्रमुख दलहन और तिलहन फसल है इसके बावजूद दाम नहीं मिलने से किसानों की चिंता बढ़ी हुई है.
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