कमजोर मांग के चलते साल 2024-25 में देश में सोयाबीन के आयात में बड़ी गिरावट आने की संभावना है. अब तक के रुझान के आधार पर सोयाबीन ऑयल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) ने ऑयल ईयर 2024-25 के दौरान अनुमानित आयात को घटाकर एक लाख टन कर दिया है जो पिछले वर्ष 6.25 लाख टन था. सोपा की तरफ से जारी लेटेस्ट सप्लाई डिमांड रिपोर्ट में सोयाबीन को लेकर यह जानकारी दी गई है. भारत मुख्यतौर पर टोगो, नाइजीरिया, नाइगर, मोजाम्बिक और तंजानिया से सोयाबीन का आयात करता है.
अखबार हिंदू बिजनेस लाइन ने सोपा की तरफ जारी ताजी सप्लाई डिमांड रिपोर्ट के अनुसार बताया है कि तेल वर्ष 2024-25 की अक्टूबर-मार्च अवधि के दौरान सोयाबीन का आयात 0.02 लाख टन रहा, जबकि एक साल पहले यह 5.06 लाख टन था. सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने एक बयान में कहा, 'सोयाबीन आयात पैटर्न को देखते हुए हमने ऑयल ईयर 2024-2025 के लिए सोयाबीन के आयात को 3 लाख टन से घटाकर 1 लाख टन कर दिया है.'
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इससे पहले सोपा ने 3 लाख टन सोयाबीन के आयात का अनुमान लगाया था. भारत सिर्फ नॉन-जेनेटिकली मोडिफाइड (गैर-जीएम) सोयाबीन के आयात की अनुमति देता है. 2024-25 में मांग में कमी के कारण सोयाबीन के आयात में बड़ी गिरावट आने की संभावना है. तेल वर्ष की अक्टूबर-मार्च अवधि के दौरान बाजार में आवक पिछले साल के 77 लाख टन की तुलना में कम होकर 72 लाख टन ही रह गई है इस अवधि के दौरान पेराई भी कम होकर 60.50 लाख टन रह गई जो कि पिछले साल 67.50 लाख टन थी.
सोपा का अनुमान है कि प्लांट, ट्रेड और किसानों के पास 38.51 लाख टन स्टॉक है. साथ ही नैफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों के पास 20 लाख टन स्टॉक है. सोयामील का उत्पादन 47.74 लाख टन (53.26 लाख टन) कम रहा. इस अवधि के दौरान घरेलू खाद्य क्षेत्र 4.35 लाख टन पर स्थिर रहा, जबकि फीड क्षेत्र की मांग 32.5 लाख टन (35 लाख टन) कम रही. साल 2024-25 की अक्टूबर-मार्च अवधि के दौरान सोयामील का निर्यात भी कम हो गया है. निर्यात करीब 17 प्रतिशत घटकर 11.12 लाख टन पर आ गया है जबकि पिछले साल यह 13.47 लाख टन था.
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वहीं इसी ऑयल ईयर के दौरान जर्मनी और फ्रांस क्रमशः 1.53 लाख टन और 1.44 लाख टन के साथ भारतीय सोयामील के सबसे बड़े खरीदार रहे. जबकि नेपाल 1.16 लाख टन की मात्रा के साथ तीसरे नंबर पर रहा.