फरवरी महीने के अंत में मौसम में बदलाव शुरू हो गया है. अब दिन का तापमान धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. इसका असर फसलों के ऊपर भी पड़ने लगा है. समय से पहले अधिक गर्मी पड़ने पर रबी की फसलें सबसे अधिक प्रभावित हो सकती हैं. वहीं, गेहूं के किसान आने वाले दिनों में उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका जता रहे हैं. दरअसल, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एक अधिकारी ने कहा कि देश में 1 जनवरी से 20 फरवरी, 2025 के दौरान सामान्य 33 मिमी के मुकाबले केवल 9.8 मिमी शीतकालीन बारिश हुई है, जो पूरे देश में 70 फीसदी की भारी कमी को दर्शाता है. उत्तर भारत के गेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है.
हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली क्षेत्र में 59 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है, जबकि पश्चिम और पूर्वी यूपी में 78 फीसदी से 97 फीसदी की कमी है. इसके अलावा पंजाब में 65 फीसदी शीतकालीन बारिश की कमी दर्ज हुई है. ऐसे में इन राज्यों में सामान्य 40.4 मिमी के मुकाबले केवल 14 मिमी ही बारिश हुई है.
समय से पहले अधिक गर्मी पड़ने पर किसानों ने कहा कि बेमौसम गर्मी ने गेहूं के विकास को रोक दिया है, जिससे फसलों में दाने अच्छी नहीं बनने और उत्पादन में गिरावट का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, उत्तर प्रदेश के किसान राणा सिंह ने कहा कि फरवरी के लगभग पूरे महीने गर्म सर्दी और कम बारिश का काफी असर रहा है. इसने गेहूं के उत्पादन को प्रभावित किया है. चार एकड़ में गेहूं और दो एकड़ चना, मटर और मसूर की खेती करने वाले सिंह ने बताया कि दिन का तापमान अधिक है, जो गेहूं के उत्पादन के लिए अनुकूल नहीं है.
ये भी पढ़ें:- Wheat Price: गेहूं को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला, दाम पर पड़ेगा असर
उन्होंने कहा कि उनके खेत में, गेहूं के उत्पादन पर 50 फीसदी तक असर पड़ने की संभावना है, जबकि चना और मसूर में लगभग 25-30 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने कहा कि जल्दी गर्मी पड़ने से फसलों का महत्वपूर्ण विकास प्रभावित हुआ है. बेमौसम गर्मी के कारण चना और मसूर में फूल आने में भी कमी आई है. उन्होंने कहा कि इससे स्थिति और भी खराब हो गई है.
पंजाब के रूपनगर में 15 एकड़ गेहूं की खेती करने वाले किसान देशराज चौधरी ने कहा कि इस फरवरी में हम जिस सामान्य से अधिक तापमान की स्थिति का सामना कर रहे हैं, उससे गेहूं के दाने के आकार और कुल उपज पर असर पड़ने की संभावना है. यहां तक कि इस चरण के दौरान फसलों की जरूरत से भी बारिश काफी कम हुई है. इन सभी कारण से उत्पादन कम होगा. उन्होंने कहा कि अनुमान है कि उत्पादन, सामान्य 22 क्विंटल प्रति एकड़ से घटकर मात्र 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ रह जाएगा.
राजस्थान के करौली जिले के किसान अशोक कुमार मीना ने कहा कि अच्छे रबी फसल उत्पादन के लिए ठंड का मौसम फरवरी के अंत तक बना रहना चाहिए था, लेकिन इस साल यह लंबे समय तक नहीं रहा. यह असामान्य गर्मी सीधे तौर पर गेहूं की फसल के दाने के आकार और विकास को प्रभावित कर रही है, जो कि इसके महत्वपूर्ण दाने भरने के चरण के दौरान है. उन्होंने कहा कि अब सभी किसानों को पूरी तरह से सिंचाई पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिससे लागत बढ़ जाएगी और फसल के स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक वर्षा जैसा लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि पिछले 10 दिनों में तापमान में बहुत अधिक बढ़ोतरी देखी गई है. इस तरह का मौसम पैटर्न आमतौर पर होली के बाद ही देखा जाता था, लेकिन इस साल, ऐसा लगता है कि यह 20-30 दिन पहले ही आ गया है.