मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई बारिश ने सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी है. मध्य प्रदेश में सोयाबीन, खरीफ की एक बड़ी फसल है और यहां के अधिकतर क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. इसकी खेती करने वाले बहुत से किसानों का मानना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार फसल काफी अच्छी होगी. सही समय पर हुई बारिश ने फसल को और बढ़ा दिया है. इंदौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोयाबीन रिसर्च जो आईसीएआर के तहत आता है, उसकी तरफ से सोयाबीन की बेहतर फसल को लेकर यह बात कही गई है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में हुई बारिश ने उम्मीदें बढ़ा दी हैं. यह महीना इस फसल के लिए वह समय होता है जब फसल अपने चरम पर होती है. अखबार ने इंस्टीट्यूट के हवाले से लिखा है कि अच्छी बारिश की वजह से खड़ी सोयाबीन फसल के विकास और उत्पादकता को बढ़ावा देने में मदद मिलने की उम्मीद है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोयाबीन रिसर्च के डायरेक्टर कुंवर हरेंद्र सिंह ने कहा, 'मौसम काफी अच्छा रहा है और यह बारिश खड़ी सोयाबीन की फसल के विकास के लिए फायदेमंद है. एक अंतराल के बाद होने वाली बारिश की गतिविधियों ने पैदावार को बढ़ावा दिया है.' उनका कहना था कि अगर कटाई तक मौसम अनुकूल बना रहता है तो इस सीजन में एवरेज उत्पादन अधिक रहने की पूरी उम्मीद है.
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इंस्टीट्यूट का मानना है कि सोयाबीन की औसत उपज 1000 किलोग्राम से 1200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बीच बनी हुई है. इंदौर क्षेत्र में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को अनुकूल मौसम के कारण कुछ क्षेत्रों में उपज 1,500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक बढ़ने की उम्मीद है. कुंवर सिंह के मुताबिक फसलों के लिए आखिरी महीना सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि पकने के समय भारी बारिश नहीं होनी चाहिए. वहीं इस साल सोयाबीन के किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता बाजार मूल्य है.
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एक किसान बलराम पटेल की मानें तो इस सीजन में उन्हें अच्छी पैदावार की उम्मीद है क्योंकि बारिश अच्छी है और कुल मिलाकर मौसम की स्थिति अनुकूल है. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर औसतन 1,400-1,500 किलोग्राम पैदावार होने का अनुमान है. मध्य प्रदेश में किसान करीब 51-52 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती करते हैं. इंदौर सब डिविजन में सोयाबीन की खेती 9 लाख हेक्टेयर से अधिक होने की उम्मीद है. मध्य प्रदेश में सोयाबीन, कपास, मक्का और दालें मुख्य खरीफ फसलें हैं.