राजधानी लखनऊ के विश्व प्रसिद्ध महिलाबाद दशहरी आम इस साल गर्मियों में लोगों को खूब आम खाने को मिलेगा. बताया जा रहा हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष क्वॉलटी भी अच्छी होगी. लखनऊ में दशहरी आम की बागवानी करने वाले किसानों के मुताबिक, मई अंत तक पाल वाला दशहरी आम बाजार में आ जाएगा. वहीं डाल वाले दशहरी के लिए 10 जून तक इंतजार करना होगा. बता दें कि उत्तर प्रदेश और देश में करीब 70 फीसदी लोग आज भी दशहरी आम का ही स्वाद पसंद करते हैं. मलिहाबाद क्षेत्र को दशहरी का ज्योग्रफिकल इंडिकेटर (GI) भी प्राप्त है. यहां का दशहरी आम अपनी मिठास के लिए जाना जाता है.
मामले में अवध आम उत्पादक बागवानी समिति मलिहाबाद के महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार 45-50 फीसदी आम पेड़ों पर टिका है. पिछले साल 35 फीसदी के मुकाबले काफी बेहतर है. वहीं पिछले साल के मुकाबले फसल काफी अच्छी है. उपेंद्र सिंह कहते हैं कि कि पाल वाला आम मई अंत तक बाजार में आने लगेगा. वहीं पाल वाला आम जून दूसरे सप्ताह में ही आएगा. उन्होंने बताया कि बैगिंग वाले आम के दाम किसानों को 80 रुपये प्रति किलो तक मिलने की उम्मीद है. बाजार में यह 150 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है.
जबकि बिना बैगिंग वाला आम फुटकर बाजार में 50-60 रुपये प्रति किलो तक लोगों को मिल जाएगा. सीजन पर मंडी में 25 से 30 रुपये प्रति किलो और फुटकर मार्केट में 50-60 रुपये प्रति किलो तक दाम रहने का अनुमान है.
बीते दिनों दशहरी आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ की मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने आम के निर्यात को बढावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी. आम के सीजन में भारी मात्रा में आम फल बैंगलोर, मुंबई और हैदराबाद को ट्रेन से भेजा जाता है. कमिश्नर के अनुरोध पर डीआरएम ने तीन माह जून, जुलाई और अगस्त के लिए लखनऊ से इन स्थानों को जाने वाली ट्रेनों में आम फल को भेजने के लिए एक अलग रेफ्रिजरेटेड वैगन उपलब्ध करने का सहमति दी है.
मामले में लखनऊ के उप निदेशक उद्यान डॉ डीके वर्मा ने बताया कि इस वर्ष से बागवानी विभाग की ओर से किसानों को बैगिंग तकनीक अपनाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है. एक किसान को प्रति एक हेक्टेयर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा. जिससे किसानों को काफी राहत मिलेगी. उन्होंने कहा, फरवरी-मार्च में लगातार 35 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान रहता है, तो उससे आम की फसल को नुकसान होता है. आम की फसल के लिहाज से मौसम सामान्य रहा. अब आम पकने करीब पहुंच रहा है, तब तापमान अधिक चाहिए. इस तरह मौसम ने खूब साथ दिया है, इससे ज्यादा रोग नहीं लगा.
डॉ वर्मा ने बताया कि काकोरी के अलावा चिनहट, माल और मलिहाबाद के इलाकों में किसान दहशरी आम की बागवानी करते है. किसानों को जैविक खाद और प्राकृतिक खेती के लिए किसानों और बागवानों को प्रेरित किया जा रहा है. उप निदेशक उद्यान ने किसानों से अपील है कि वे विशेषज्ञों से साथ मिट्टी के नमूने देने में सहयोग करें जिससे मिट्टी की सेहत सुधारी जा सके.
आम का यह उत्पादन क्षेत्र लखनऊ, उन्नाव और सीतापुर तक फैला है. दरअसल, बाजार में जब भी वो आम खरीदने जाते हैं तो उनकी पहली पसंद दशहरी ही होता है. हालांकि अब नई वैरायटी के आम एक-एक करके दशहरी को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. लेकिन दशहरी का अपना स्वाद आज भी बरकरार है. भारत में आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, खासकर आम उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण फलों में से एक है. प्रदेश में 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती से 45 लाख टन आम पैदा होता है.
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