करनाल में सड़क किनारे धान से लदे ट्रैक्टर-टॉलियों की लगी कतारें, किसानों में भारी नाराजगी, पढ़े डिटेल्स

करनाल में सड़क किनारे धान से लदे ट्रैक्टर-टॉलियों की लगी कतारें, किसानों में भारी नाराजगी, पढ़े डिटेल्स

13 अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, जिले भर की कई अनाज मंडियों में कुल 2,75,499 मीट्रिक टन (एमटी) धान की खरीद की गई है. खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के विभाग ने 1,78,708 मीट्रिक टन, हैफेड ने 60,061 मीट्रिक टन और हरियाणा राज्य भंडारण निगम ने 36,730 मीट्रिक टन धान खरीदा है.

ओडिशा में धान खरीद (सांकेतिक तस्वीर)ओडिशा में धान खरीद (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 15, 2024,
  • Updated Oct 15, 2024, 6:22 PM IST

हरियाणा के करनाल जिले में प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद भी खरीदे गए धान का उठान मंडियों में बहुत ही धीमी गति से हो रहा है. इससे किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. धान उठान में देरी के कारण कई अनाज मंडियों में अव्यवस्था फैल गई है. इससे किसानों को अपना धान सड़कों पर उतारना पड़ रहा है. अब आलम यह है कि मंडियों के बाहर सड़कों पर धान से लदे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतारें लग गई हैं. कहा जा रहा है कि इस तरह की अव्यवस्था को लेकर किसानों में काफी गुस्सा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, खरीद न होने के एक दिन बाद भी अनाज मंडियों में बिना बिके धान का ढेर लगा हुआ है, जिससे किसानों की निराशा और बढ़ गई है. नीलोखेड़ी और इंद्री अनाज मंडियों में किसानों ने जगह की कमी को लेकर गुस्सा जताया, जिसके कारण उन्हें अपनी उपज सड़कों के किनारे फेंकनी पड़ रही है. इसी तरह, नेशनल हाईवे-44 पर करनाल अनाज मंडी के बाहर जगह की कमी से परेशान किसान अपने धान से लदे ट्रेक्टर और ट्रॉलियों के साथ लंबी कतारों में इंतजार करते देखे गए. उन्होंने भीड़भाड़ के लिए उठाव की धीमी गति को जिम्मेदार ठहराया.

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2,75,499 मीट्रिक टन धान की हुई खरीद

13 अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, जिले भर की कई अनाज मंडियों में कुल 2,75,499 मीट्रिक टन (एमटी) धान की खरीद की गई है. खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के विभाग ने 1,78,708 मीट्रिक टन, हैफेड ने 60,061 मीट्रिक टन और हरियाणा राज्य भंडारण निगम ने 36,730 मीट्रिक टन धान खरीदा है. हालांकि, इन एजेंसियों द्वारा केवल 1,02,353 क्विंटल (लगभग 63,448 मीट्रिक टन) का ही उठाव किया गया है, जिससे 1,73,146 मीट्रिक टन धान अभी भी मंडियों में पड़ा हुआ है. किसानों ने अधिकारियों से इन मुद्दों को हल करने का आग्रह किया है, ताकि आगे और देरी न हो.

किसान ऋषिपाल ने कहा कि धीमी उठान के कारण किसानों के पास जगह की कमी के कारण सड़क किनारे अपनी उपज फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. मुझे, अन्य किसानों के साथ, सड़क किनारे धान उतारना पड़ा. गेट पास के लिए करनाल अनाज मंडी के बाहर इंतजार कर रहे एक अन्य किसान दीपक ने भी इसी तरह की चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हमें लंबी कतारों में घंटों इंतजार करना पड़ता है, लेकिन उठान की धीमी गति के कारण हम अभी भी अपनी फसल नहीं उतार पा रहे हैं.

इस वजह से उठान प्रक्रिया में हुई देरी

एक अन्य किसान निरंकार सिंह ने बताया कि प्रशासन को मंडी की सुविधाओं में सुधार करने की जरूरत है. सबसे बड़ी समस्या उठान में देरी है, जिसके कारण हमें मंडी में जगह नहीं मिलने पर घंटों इंतजार करना पड़ता है. इंद्री के किसान सुमित कुमार ने भी समय पर उठान और सुचारू खरीद सुनिश्चित करने के लिए बेहतर व्यवस्था की जरूरत पर बल दिया. हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य के अनुरोध पर 27 सितंबर से धान की खरीद शुरू करने का पूर्व-निर्धारित किया था, लेकिन चावल मिल मालिकों की हड़ताल के कारण उठान प्रक्रिया में देरी हुई. इस हड़ताल से कस्टम-मिल्ड राइस (सीएमआर) के लिए धान का संग्रह प्रभावित हुआ.

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मंडी स्तर पर नियुक्त किए गए अधिकारी

कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आश्वासन के बाद चावल मिल मालिकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली और सीएमआर के लिए पंजीकरण शुरू कर दिया. संपर्क करने पर उपायुक्त उत्तम सिंह ने कहा कि खरीद एजेंसियों को उठान प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. डीसी ने कहा कि अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर यश जालुका समग्र खरीद और उठान प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं, और विसंगतियों की जांच के लिए मंडी स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. 

 

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