Organic Farming: तरबूज की जैव‍िक खेती में डबल फायदा, लागत कम लगी और कीमत ज्यादा म‍िली 

Organic Farming: तरबूज की जैव‍िक खेती में डबल फायदा, लागत कम लगी और कीमत ज्यादा म‍िली 

युवा क‍िसान सौरभ खुटवाड ने कहा क‍ि इस साल उन्होंने अपने 12 एकड़ के खेत में बिना ज्यादा लागत के आधुनिक तकनीक से जैव‍िक खेती की है. रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव के कारण मानव स्वास्थ्य कई बीमारियों की चपेट में है. इसल‍िए भावी पीढ़ियों को बीमारियों से बचने का एकमात्र उपाय जैविक खेती है. 

तरबूज की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 05, 2024,
  • Updated Apr 05, 2024, 7:00 PM IST

भारत में महाराष्ट्र धान की खेती के लिए प्रसिद्ध पुणे का भाटघर जल ग्रहण क्षेत्र में एक युवा क‍िसान ने कलिंगाद (तरबूज) की जैव‍िक खेती शुरू की है. जैव‍िक होने की वजह से जहां लागत कम है वहीं बाजार में मुनाफा ज्यादा म‍िल रहा है और जहरीली खाद और कीटनाशकों का असर न होने की वजह से उसका स्वाद बहुत अच्छा है. सौरभ खुटवाड नामक क‍िसान ने ऐसी पहल शुरू की है. उनका कहना है क‍ि जैविक खेती में समय लगता है लेक‍िन रासायनिक खेती में उर्वरकों के दुष्प्रभाव होते हैं. इसल‍िए डबल फायदा उठाने के ल‍िए किसानों को निकट भविष्य में जैविक खेती करनी चाहिए. जैव‍िक खाद घर पर ही तैयार की जा सकती है, इसलिए इसमें ज्यादा लागत नहीं आती और यह शरीर के लिए हानिकारक भी नहीं है.

खुटवाड ने बताया क‍ि इस साल उन्होंने अपने 12 एकड़ के खेत में बिना ज्यादा लागत के आधुनिक तकनीक से जैव‍िक खेती की है. रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव के कारण मानव स्वास्थ्य कई बीमारियों की चपेट में है. इसल‍िए भावी पीढ़ियों को बीमारियों से बचने का एकमात्र उपाय जैविक खेती है. कलिंगदा की खेती, जो एक गारंटीशुदा नकदी फसल है, का अभिनव प्रयोग कृषि में डिप्लोमा की पढ़ाई के दौरान उन्होंने सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है. 

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क‍ितनी उपज हुई, क‍ितना है दाम 

युवा क‍िसान ने बताया क‍ि रोपण के 60वें दिन कलिंगाद (तरबूज) की कटाई शुरू हो गई. जैव‍िक खेती में एक संस्था का पूरा सहयोग म‍िल रहा है. पहली कटाई में 12 टन उपज हुई है. इसका दाम 14 से 16 रुपये प्रति किलोग्राम म‍िल रहा है. पहली फसल से 12 टन, दूसरी फसल से 4 से 5 टन फल का उत्पादन होगा. जैविक खेती के कारण अपने अलग स्वाद और लंबी शेल्फ लाइफ के कारण इस फल की अत्यधिक मांग है. ग्राहक खेत पर आकर भी खरीद कर रहे हैं.

ऐसे क‍िया खाद का प्रबंधन 

क‍िसान ने बताया क‍ि उन्होंने घर पर 25 प्रतिशत सड़े हुए गोबर से वर्मीकम्पोस्ट बनाया और प्रति एकड़ 1 टन का उपयोग किया. जीवामृत घोल तैयार क‍िया. दस किलो गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो बेसन, 2 किलो काला गुड़ और 1 मुट्ठी गुड़ 180 लीटर पानी में एक साथ मिलाकर इस मिश्रण को आठ दिनों तक रखा. फ‍िर इसे हर 4 दिन में ड्रिप के माध्यम से पौधों को डाला. रोपण के पंद्रह दिन बाद जीवामृत, गाय के गोबर से तैयार जीवाणु कल्चर आदि जैविक खाद डाली गई. 

उत्पादन लागत क‍ितनी 

कलिंगदा पौधों के लिए 9 हजार रुपये खर्च क‍िए, जैविक खाद के लिए 4 हजार रुपये, ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग पेपर के लिए 15 हजार और जुताई के लिए 3 हजार रुपये खर्च हुए. जबक‍ि घर में बने नीम अर्क और दशपर्णी अर्क के उपयोग से छिड़काव की लागत बच गई है. मजदूरी पर 2000 रुपये खर्च हो गए. इसके मुकाबले मुनाफा बहुत अच्छा म‍िला. रासायन‍िक खेती वाले खाद का पूरा खर्च बच गया. जैव‍िक खेती की इस मुह‍िम में उनके पर‍िवार ने पूरा साथ द‍िया.

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