देश में प्याज उत्पादन के गढ़ महाराष्ट्र के नासिक में पिछले सात दिनों से नीलामी नहीं हो रही है. इससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. प्याज व्यापारी मनोज जैन का कहना है कि देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में ही अकेले पिछले 6 दिन में करीब 60 हजार क्विंटल का ट्रेड प्रभावित हुआ है. इसी तरह बाकी मंडियों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है. केंद्र सरकार की नीतियों से परेशान करीब 500 व्यापारियों ने जिले की छोटी बड़ी करीब 20 मंडियों को बंद कर रखा है. बंद में किसानों का भी समर्थन हासिल है क्योंकि जिन नीतियों के मारे व्यापारी हैं, उन्हीं नीतियों की चक्की में किसान भी पिस रहे हैं. मंडी में प्याज की नीलामी न होने से राज्य सरकार बैकफुट पर है क्योंकि व्यापारियों और किसान दोनों के गुस्से से उसकी छवि को धक्का लग रहा है और टैक्स कलेक्शन प्रभावित हो रहा है. मंडियों में 20 सितंबर से हड़ताल है.
इस बीच महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में नासिक जिले के प्याज व्यापारियों और बाजार समिति प्रतिनिधियों की एक बैठक हो रही है. देखना यह है कि क्या सातवें दिन प्याज संकट खत्म होगा? व्यापारियों का कहना है कि केंद्र सरकार कोई भी फैसला अचानक थोप देती है, जिससे काफी नुकसान होता है. व्यापार से जुड़े किसी भी नए निर्णय को लागू करने के लिए मोहलत मिलनी चाहिए. केंद्र सरकार ने ब्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला भी ऐसे ही किया था.
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व्यापारियों और किसानों को परेशानी केंद्र सरकार की पॉलिसी से है और बीच बचाव करने के लिए महाराष्ट्र सरकार आ रही है. जबकि मंडी फीस को कम करने के अलावा न तो राज्य सरकार एक्सपोर्ट ड्यूटी कम कर सकती है और न नेफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) को सस्ता प्याज बेचने से मना कर सकती है. जब प्याज पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगने के खिलाफ हड़ताल हुई थी, तब भी राज्य सरकार बीच में आई थी. लेकिन, पूरा जोर लगाने के बाद भी वो केंद्र से एक्सपोर्ट ड्यूटी कम नहीं करवा सकी जिसका नुकसान किसान और व्यापारी अब तक झेल रहे हैं.
दरअसल, प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने से एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ा है जिससे घरेलू बाजार में दाम गिर गए हैं. सरकार को इसके बाद भी संतोष नहीं. दाम और कम करने के मकसद से उसने नेफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) को भी मैदान में उतार दिया है. आरोप है कि ये दोनों एजेंसियां दूसरे राज्यों की मंडियों में मार्केट से सस्ते रेट पर प्याज बेचकर यहां के व्यापारियों और किसानों दोनों के हितों पर चोट कर रही हैं. क्योंकि इससे घरेलू बाजार में किसानों और व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.व्यापारी मार्केट फीस को 1 रुपये प्रति क्विंटल से घटाकर 50 पैसे करना चाहते हैं.
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