प्याज और अरहर उत्पादक किसानों को अब 48 घंटे में होगा भुगतान, सरकार इस योजना पर कर रही है काम

प्याज और अरहर उत्पादक किसानों को अब 48 घंटे में होगा भुगतान, सरकार इस योजना पर कर रही है काम

अरहर दाल के आयात पर भारी निर्भरता के चलते मोजाम्बिक और बर्मा जैसे देश भी हमारे लिए शर्तें तय कर रहे हैं. एक अधिकारी ने कहा कि इस खरीफ सीजन के दौरान इन दोनों फसलों का रकबा कम हो गया, जिससे उत्पादन में कमी आई. इसके चलते पिछले कुछ महीनों में खुदरा महंगाई बढ़ गई है.

अब प्याज उत्पादक किसानों को पेमेंट के लिए नहीं करना पड़ेगा ज्यादा दिन तक इंतजार. (सांकेतिक फोटो)अब प्याज उत्पादक किसानों को पेमेंट के लिए नहीं करना पड़ेगा ज्यादा दिन तक इंतजार. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 25, 2023,
  • Updated Nov 25, 2023, 7:06 PM IST

अरहर और प्याज उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी है. अब फसल बेचने के बाद उन्हें रकम के लिए ज्यादा दिन तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. 48 घंटे के अंदर ही किसानों के खाते में फसल की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार इसके लिए एक विशेष योजना पर काम कर रही है. एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इससे किसानों को अरहर और प्याज उगाने के लिए प्रोत्साहित करने और इन दोनों फसलों की खेती का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड अरहर और प्याज की दो खरीद पर किसान संघों और सहकारी समितियों को भुगतान कर रहे थे. बाद में ये किसानों को भुगतान करते थे. हालांकि, भुगतान की इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है और किसानों को समय पर पैसा नहीं मिल पाता है. इसलिए सरकार अब किसानों के खाते में सीधा फसल की रकम ट्रांसफर करने की योजना पर काम कर रही है. सरकारी अधिकारी ने कहा कि किसानों के खाते में सीधे रकम ट्रांसफर करने से उन्हें काफी फायदा होगा. वे समय पर खाद और बीज खरीद पाएंगे. साथ ही और लगन के साथ अधिक जमीन पर खेती करेंगे, अरहर दाल और प्याज का उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. अधिकारी की माने तो सरकार की इस कोशिश से अरहर दाल के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी. 

आम जनता का बिगड़ा बजट

अधिकारी की माने तो अरहर दाल के आयात पर भारी निर्भरता के चलते मोजाम्बिक और बर्मा जैसे देश भी हमारे लिए शर्तें तय कर रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि इस खरीफ सीजन के दौरान इन दोनों फसलों का रकबा कम हो गया, जिससे उत्पादन में कमी आई. इसके चलते पिछले कुछ महीनों में फूड इन्फ्लेशन बढ़ गया. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 29 सितंबर, 2023 को देश में अरहर दाल का क्षेत्रफल घटकर लगभग 4.39 मिलियन हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले 4.61 मिलियन हेक्टेयर से अधिक था. वहीं अक्टूबर महीने के दौरान दालों की खुदरा कीमत में 18.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. हालांकि, नवरात्रि के तुरंत बाद प्याज की कीमतें बढ़ गईं. इससे आम जनता का बजट बिगड़ गया है.

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प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी

महंगाई का आलम यह है कि दशहरा से पहले तक जो प्याज 35 से 40 रुपये किलो बिक रहा था अब उसकी कीमत 60 से 70 रुपये हो गई है. वही, कई जगहों पर एक किलो प्याज के लिए लोगों को 85 रुपये भी खर्च करने पड़े रहे हैं. जानकारों का कहना है कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में खरीफ प्याज की बुआई में कमी आई है. इस वजह से भी कीमतें बढ़ रही हैं. हालांकि, अगस्त में, सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी. जबकि, बाद में सरकार ने प्याज पर से एक्सपोर्ट ड्यूटी हटा दी. बाद में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को 29 अक्टूबर से  31 दिसंबर के बीच प्याज पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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