मशरूम उत्पादन में भारत पहले स्थान पर पहुंचने के लिए तैयारियों में जुट गया है. इसके लिए मशरूम की खेती को विस्तार देने के साथ ही किसानों को अच्छी कीमत दिलाने की योजना पर काम किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने कहा कि किसानों को अच्छी कीमत दिलाने के लिए मशरूम की शेल्फ लाइफ बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए रिसर्च पर जोर देना होगा. इसके अलावा कीड़ाजड़ी जैसी मशरूम की दूसरी किस्मों को उगाने के लिए किसानों को बीज और खेती विधि प्रेकी जानकारी देने की जरूरत है, ताकि उनकी कमाई बढ़ाई जा सके.
मशरूम सिर्फ सब्जी के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि दवा समेत कई अन्य तरह के प्रोडक्ट भी इससे बनाए जाते हैं. मशरूम की मांग भी बाजार में अच्छी है लेकिन, शेल्फ लाइफ कम होने के चलते किसानों को अच्छी कीमत पाने में मुश्किल होती है. क्योंकि, मशरूम कटाई के बाद से ही प्राकृतिक रंग बदलना शुरू हो जाता है और कुछ दिनों में ही काला पड़ जाता है. सफेद मशरूम के काला पड़ने पर कीमत और मांग घट जाती है.
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने मशरूम की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता बताई. एजेंसी के अनुसार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-मशरूम अनुसंधान निदेशालय (ICAR DMR) सोलन में कार्यक्रम में बीते दिन राज्यपाल ने कहा कि अधिक लोगों को मशरूम की खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही लंबे समय तक मशरूम चल सके इस पर फोकस करते हुए और शोध की जरूरत है.
राज्यपाल ने कहा कि वैज्ञानिकों, उत्पादकों, उद्यमियों और उद्योगों को मशरूम के उत्पादन और मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए उपलब्ध आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके एक साथ आने की जरूरत है. उन्होंने निदेशालय से कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से उत्पादन तकनीकों को देश के हर कोने में ले जाने की भी अपील की ताकि नई किस्मों से मशरूम उत्पादकों को अच्छी कीमत मिल सके.
राज्यपाल ने कहा कि देश में मशरूम उत्पादन में तेज बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन इसे और रफ्तार पकड़नी होगी. उन्होंने कहा कि 10 साल पहले लगभग 1 लाख टन मशरूम उत्पादन देशभर में होता था. आज की तारीख में मशरूम उत्पादन बढ़कर 3.50 लाख टन तक पहुंच गया है. वैश्विक स्तर पर मशरूम उत्पादन में भारत काफी पीछे है. उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक स्तर पर मशरूम उत्पादन में नंबर वन बनना होगा. चीन और अमेरिका जैसे देश मशरूम उत्पादन में टॉप पर हैं.
राज्यपाल ने कहा कि व्यावसायिक उत्पादन के अलावा गुच्छी और कीड़ाजड़ी जैसे जंगली मशरूम भी मशरूम की कुछ ऐसी किस्में हैं. इनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम करने की जरूरत है, क्योंकि इनसे काफी अच्छी कीमत मिल सकती है. उन्होंने किसानों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर मेले, सेमिनार, प्रशिक्षण और प्रदर्शनी लगाने पर भी जोर दिया. कहा कि किसानों को उन्नत किस्मों की जानकारी के साथ ही खेती पद्धतियों के बारे में भी जागरूक किया जाए.