MSP On Pulses: सरकार ने दालों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये ज्यादा से ज्यादा फायदा किसानों को पहुंचाने की कोशिशें कर रही है. एक रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने राज्यों के 64 लाख से ज्यादा किसानों को रजिस्टर किया है. सरकार की इस मुहिम का मकसद किसानों को इनपुट सहायता देना है. साथ ही साथ एमएसपी पर किसानों से जिंसों की खरीद का लक्ष्य तय किया है.
अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दो सरकारी एजेंसियों - नेफेड और एनसीसीएफ अब तक क्रमशः 38 लाख और 26 लाख किसानों को रजिस्टर कर चुकी हैं. इस कदम का मकसद दालों की किस्मों जैसे तुअर, मसूर और उड़द, के उत्पादन को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही देश की आयात निर्भरता को कम करना और इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए मक्का का उत्पादन बढ़ाना है. यह पहल पिछले वर्ष खरीफ सीजन से पहले शुरू हुई थी.
अभी इस समय नेफेड और एनसीसीएफ दालों और मक्का की खरीद से पहले आधार वैरीफिकेशन के जरिये क्रमशः अपने पोर्टल, ई-समृद्धि और ई-संयुक्ति पर किसानों को प्री-रजिस्टर करते हैं. सरकार ने कृषि मंत्रालय की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत एमएसपी पर दालों की 100 फीसदी किस्मों की खरीद का भरोसा दिया है. पीएसएस के तहत तुअर, उड़द और मसूर पर 25 प्रतिशत की मौजूदा खरीद सीमा को 2023-24 और 2024-25 सीजन के लिए हटा दिया गया है.
एजेंसियां आमतौर पर एमएसपी पर उन दालों को खरीदती है जिन्हें किसान काट लेते हैं. अगर बाजार मूल्य एमएसपी से ज्यादा हो तो किसान निजी व्यापारियों को बेच सकते हैं. एनसीसीएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर अनीस जोसेफ चंद्रा के हवाले से अखबार ने लिखा है ,'हम सरकारी खरीद कार्यक्रम की पहुंच बढ़ाने के लिए पोर्टल पर किसानों का ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं.' एनसीसीएफ ने मक्का खरीद के लिए 29 राज्यों में 13 लाख किसानों को रजिस्टर किया है. जबकि 16 लाख से ज्यादा किसानों ने दालों की खरीद के लिए नामांकन किया है. सहकारी समिति डिस्टिलरी को मक्का के वितरण में भी लगी हुई है.
बताया जा रहा है कि यह पहल उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार सहित गैर-परंपरागत दलहन, तिलहन और मक्का उत्पादक क्षेत्रों पर केंद्रित है. यहां एजेंसियां अच्छी क्वालिटी वाले बीज मुहैया कराती हैं. साथ ही यह सुनिश्चित करती हैं कि उपज खरीद के लिए उचित और एवरेज क्वालिटी स्टैंडर्ड को पूरा किया जाए. अब तक, नेफेड और एनसीसीएफ ने चालू 2024-25 सीजन में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश के किसानों से एमएसपी पर क्रमशः 0.36 मिलियन टन (एमटी) और 0.16 मीट्रिक टन तुअर की खरीद की है. यह 2019-20 के बाद से तुअर की खरीद की सबसे ज्यादा मात्रा है.
इस बीच, कृषि मंत्रालय ने अगले खरीफ 2025-26 सीजन से दलहन और तिलहन की एमएसपी खरीद के लिए बायोमेट्रिक फेस ऑथेंटिकेशन और पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के प्रयोग को अनिवार्य कर दिया है. इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक किसानों को ही विभिन्न योजनाओं के तहत खरीद का लाभ मिले. नेफेड और एनसीसीएफ को भेजे गए पत्र में, कृषि मंत्रालय ने उनसे किसानों के पंजीकरण के लिए उपयोग किए जाने वाले अपने पोर्टल को मंत्रालय के कृषि सांख्यिकी पर एकीकृत पोर्टल (यूपीएजी) के साथ एकीकृत करने और तिलहन और दलहन की खरीद को वास्तविक समय के आधार पर अपलोड करने का अनुरोध किया है.
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