मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में कई सालों से व्यापक रूप से धान की खेती होती आ रही है. इस सीजन में भी बड़ी संख्या में किसानों ने खेतों में धान उगाई है. कुछ ही समय में धान की फसल पककर तैयार होने वाली ही थी, लेकिन यहां फसल पीली पड़कर सूखने लगी है, जिसे लेकर किसान चिंतित हैं. परेशान सैकड़ों किसानों ने बर्बाद फसल हाथों मे लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया और सरकार से सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की. किसानों ने रैपुरा तहसीलदार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा और अपनी आवाज सीएम कार्यालय तक पहुंचाने की गुहार लगाई.
किसानों के अनुसार, रोग फसल को इतनी तेजी से और इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है कि अब दाने पड़ने कि संभावना भी खत्म हो रही है. फसल से मुनाफा कमाने की आस लगाए बैठे किसानों को अब बीज भी निकलते नहीं दिख रहे हैं. समस्या इस कदर बढ़ रही है कि किसानों का फसल लगा पूरा का पूरा खेत उजड़ रहा है. किसान दवाइयों का छिड़काव करते-करते परेशान हो गए हैं.
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धान फसल पीली पड़कर सूखने की समस्या पन्ना जिले के रैपुरा क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिल रही है. वहीं, किसानों का कहना है कि यह कोई प्राकृतिक समस्या है या फसलों में कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक का कोई साइड इफेक्ट है, इसकी वजह और समाधान की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इस बारे में उन्होंने शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. रैपुरा के किसान महेंद्र लोधी ने कहा कि 70 से 80 प्रतिशत किसानों कि फसलें ख़राब हो गयी है.
फसल नीचे से खराब होकर सूख जाती है. किसान आज खराब हुई फसलें लेकर यहां आए हैं. हमारी फसलों का बीमा किया जाता है, लेकिन उसका फायदा हमें कभी नहीं मिलता. हम चाहते है कि किसानों को बीमा के तहत मुआवजा मिले. एक अन्य किसान बर्मन लोधी ने कहा कि इस पूरे क्षेत्र मे किसानों की 70 से 80 प्रतिशत फसलों को नुकसान हुआ है. अज्ञात बीमारी के चलते तीन-चार दिन में ही फसल सूख जाती है. हमें इसका मुआवजा मिलना चाहिए.
रैपुरा के तहसीलदार चंद्रमणि सोनी ने कहा कि कृषि विभाग, पटवारी और सचिव की टीम बनाकर सर्वे कराया जाएगा और आवश्यक कार्यवाही की जाएगी. आज किसानों ने ज्ञापन दिया है, जिसमें धान की फसल खराब होने की बात कही गई है. साथ ही इसमें बीमा कंपनी से मुआवजा दिलाने की मांग की गयी है. इस बारे में पहले भी किसान ज्ञापन दे चुके हैं.
दिलीप शर्मा की रिपोर्ट