आम के शौकीन लोगों के लिए खुशखबरी है. इस साल आम के उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है. आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर के निदेशक टी. दामोदरन कहना है कि इस साल भारत का कुल आम उत्पादन में लगभग 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. इससे आम की पैदावार बढ़कर 24 मिलियन टन हो जाएगी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उत्पादन बढ़ने से पिछले साल के मुकाबले इस बार रेट भी थोड़ा कम होगा.
टी. दामोदरन ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अप्रैल-मई के दौरान भीषण गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी की है. हालांकि, उससे आम की पैदावार पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. बशर्ते किसान मई में फलों के झड़ने से रोकने के लिए सिंचाई का ध्यान रखें. वहीं, अपने नवीनतम ग्रीष्मकालीन पूर्वानुमान में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भीषण गर्मी और लू चने की भविष्यवाणी की है, जो सामान्य दो से चार दिनों के बजाय 10-20 दिनों तक रह सकती है. दक्षिण भारत के अधिकांश हिस्से, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में भी इस बार सामान्य से अधिक गर्मी वाले दिन होने की संभावना है.
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दामोदरन का कहना है कि आम में फूल आने की प्रक्रिया फल लगने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अनुकूल मौसम के कारण आम में फूल आना लगभग समाप्त हो गया है. परागण सामान्य है और फल लगने शुरू हो गए हैं. सामान्य गर्मी की लहरें पैदावार को प्रभावित नहीं कर सकती हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से फसल को मदद करेंगी. इससे आम के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.
उन्होंने कहा कि फसल वर्ष 2023-24 में जुलाई- जून के दौरान कुल उत्पादन बढ़कर 24 मिलियन टन हो सकता है, जबकि 2022-23 में यह 21 मिलियन टन था. दक्षिण भारत में आम का उत्पादन बंपर देखा जा रहा है, जो देश के कुल उत्पादन में 50 फीसदी का योगदान देता है. पिछले साल मौसम की गड़बड़ी के कारण दक्षिणी राज्यों को 15 फीसदी नुकसान का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि हालांकि, इस साल स्थिति बेहतर है. ऐसे में पूरे भारत में आम की अच्छी उपज की उम्मीद है.
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दामोदरन के अनुसार, जलवायु फूल आने और फल लगने में भूमिका निभाती है. हालांकि, सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने पर किसान अपने आम के बाग में सिंचाई कर सकते हैं. इससे मिट्टी में नमी बनी रहेगी, जिससे फलों का गिरना कम हो जाता है. उन्होंने किसानों को उत्तरी मैदानी इलाकों के आम उत्पादक क्षेत्रों में आक्रामक कीटों के हमलों, विशेषकर थ्रिप्स कीट से सावधान रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि आम के कई बागों में थ्रिप्स की संख्या कई गुना बढ़ गई है.