लीची को गर्मी में तरो-ताजा कर देती है मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई, होते हैं ये 7 बड़े फायदे

लीची को गर्मी में तरो-ताजा कर देती है मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई, होते हैं ये 7 बड़े फायदे

लीची में ड्रिप सिंचाई के लिए प्रति पौधे 8 लीटर से 67 लीटर प्रतिदिन पानी की आवश्यकता होती है। आम तौर पर, पानी की आवश्यकता मिट्टी के प्रकार, पेड़ की उम्र और मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है। लीची में एक दिन के अंतराल पर ड्रिप सिंचाई दी जाती है.

लीची के लिए बेहद खास है मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Apr 25, 2024,
  • Updated Apr 25, 2024, 11:35 AM IST

भारत में लीची की औसत उपज लगभग 7 टन प्रति हेक्टेयर है और यह 60 हजार हेक्टेयर में उगाई जाती है. जो फलों के कुल क्षेत्रफल का 1.44 प्रतिशत है. बिहार की लीची बड़े क्षेत्र में उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता के लिए पूरे देश में जाना जाता है. यह राज्य देश के कुल क्षेत्रफल में 45 प्रतिशत और कुल उत्पादन में 66 प्रतिशत योगदान देता है. बिहार में लीची का दो-तिहाई क्षेत्र उत्तरी बिहार में केंद्रित है. यहां की मिट्टी और जलवायु इसके लिए विशेष रूप से बहुत उपयोगी है और यहां की लीची की उत्पादकता लगभग 12 टन प्रति हेक्टेयर है, जो देश में सबसे अधिक है, इसलिए इस राज्य में इसका उत्पादन क्षेत्र हर साल बढ़ रहा है.

इतना ही नहीं भविष्य में इसके फैलने की अपार संभावनाएं हैं और बेहतरीन तकनीक से इसकी खेती करके इसकी उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाया जा सकता है. वहीं लीची की सिंचाई की बात करें तो मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई लीची की खेती के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके 7 बड़े फायदे भी हैं. क्या हैं वो फायदे आइए जानते हैं.

लीची की खेती के लिए सही मिट्टी

लीची को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. इसके लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी और 2.5 से 3 मीटर नीचे जल स्तर वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. भूमि काफी उपजाऊ, गहरी और अच्छे जल निकास वाली होनी चाहिए. इसके लिए थोड़ी क्षारीय और तटस्थ मिट्टी अधिक उपयुक्त मानी जाती है. अप्रैल के आरंभ में भूमि का चयन कर उसकी जुताई कर समतल कर लें. लीची के बगीचे को चौकोर पैटर्न में लगाएं. मई के पहले या दूसरे सप्ताह में 8 मीटर की दूरी पर 90 सेमी व्यास और 10 सेमी गहराई के गड्ढे खोदें और उन्हें दो सप्ताह के लिए खुला छोड़ दें ताकि मिट्टी में मौजूद हानिकारक कवक या कीड़े नष्ट हो जाएं. जून के दूसरे सप्ताह में गड्ढे से निकाली गई मिट्टी में निम्नलिखित उर्वरक मिलाकर दोबारा गड्ढे में भर दें.

ये भी पढ़ें: इंतजार खत्म! बाजार में इस बार 15 मई से बिकने लगेगी शाही लीची

मिनी स्प्रिंकलर से करें सिंचाई

लीची में ड्रिप सिंचाई के लिए प्रति पौधे 8 लीटर से 67 लीटर प्रतिदिन पानी की आवश्यकता होती है। आम तौर पर, पानी की आवश्यकता मिट्टी के प्रकार, पेड़ की उम्र और मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है। लीची में एक दिन के अंतराल पर ड्रिप सिंचाई दी जाती है. फलों के पेड़ों को मार्च से मई के पहले सप्ताह तक एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई के पानी के साथ उर्वरक और पोषक तत्व दिये जाते हैं. दो सेमी आकार के लीची फल बनने के बाद फलों को फटने से बचाने के लिए मिनी किलर का उपयोग कर लीची के पूरे हिस्से को 30 लीटर प्रति घंटे की दर से प्रतिदिन 2-3 घंटे के लिए मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करें.

मिनी स्प्रिंकलर के 7 बड़े फायदे

  • पानी की बचत
  • उत्पादन में वृद्धि.
  • फलों का टूटना 11 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत हो जाता है
  • उर्वरकों एवं पोषक तत्वों की बचत एवं उनकी उपयोग क्षमता में वृद्धि
  • सिंचाई कम जल धारण क्षमता वाली मिट्टी, ऊँची भूमि और बंजर भूमि में की जा सकती है
  • ऊर्जा और श्रम की बचत
  • अच्छी गुणवत्ता और रोग मुक्त उत्पाद

MORE NEWS

Read more!