सरकारी 'गारंटी' से मसूर की खेती देगी बंपर फायदा, जान‍िए खाद-बीज की कितनी होगी जरूरत? 

सरकारी 'गारंटी' से मसूर की खेती देगी बंपर फायदा, जान‍िए खाद-बीज की कितनी होगी जरूरत? 

Lentil Cultivation: कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक मसूर की अच्छी पैदावार के ल‍िए आप 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक बुवाई कर सकते हैं. यह रबी सीजन की फसल है. भारत में इसकी भारी कमी है. जान‍िए कौन-कौन सी हैं मसूर की उन्नत क‍िस्में और बुवाई से पहले क‍िन बातों का रखना होगा ध्यान? 

मसूर दाल का एमएसपी क‍ितना है. मसूर दाल का एमएसपी क‍ितना है.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 29, 2024,
  • Updated Oct 29, 2024, 12:59 PM IST

भारत में ज‍िन दालों की भारी कमी है उनमें मसूर का नाम भी शाम‍िल है. कृषि व‍िशेषज्ञों के मुताब‍िक मसूर दाल के उत्पादन और मांग में लगभग आठ लाख टन का गैप है. इसल‍िए इसका दाम लगातार बढ़ रहा है. इस समय देश में इसका भाव 140 रुपये क‍िलो तक पहुंच गया है. मसूर रबी सीजन की फसल है. केंद्र ने न स‍िर्फ मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर 6700 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल कर द‍िया है बल्क‍ि इसकी 100 प्रतिशत खरीद की गारंटी भी दी है. यानी ज‍ितना उत्पादन है क‍िसान पूरा बेच सकते हैं. उसकी कोई ल‍िम‍िट तय नहीं है. ऐसे में इसकी खेती क‍िसानों के ल‍िए फायदे का सौदा साब‍ित हो सकती है. अगर इसकी खेती करनी है तो यह ब‍िल्कुल सही वक्त है. 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक मसूर की अच्छी पैदावार के ल‍िए आप 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक बुवाई कर सकते हैं. मसूर की बुवाई का उचित समय उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर के अंत में तथा उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र व मध्य क्षेत्र में नवंबर का दूसरा पखवाड़ा है. मसूर के बड़े दाने वाली प्रजातियों के लिए बीज दर 55-60 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर जबक‍ि छोटे दानों वाली प्रजातियों के लिए 40-45 क‍िलोग्राम होगी. 

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बीज उपचार जरूरी 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक 10 क‍िलोग्राम बीज को 200 ग्राम राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए. विशेषकर उन खेतों में जिनमें पहले मसूर न बोई गई हो. रासायनिक उपचार के बाद बीजोपचार किया जाए. इसके अतिरिक्त फॉस्फेट सोल्बुलाइजिंग बैक्टीरियल कल्चर का प्रयोग पौधों में फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है. इसके प्रयोग से उत्पादन अच्छा होता है. 

मसूर की उन्नत प्रजातियां 

क‍िसी भी फसल की पैदावार उसकी उन्नत क‍िस्मों पर न‍िर्भर करती है. मसूर की उन्नत क‍िस्मों में एल 4727, एल 1613, आईपीएल 230, पंत मसूर 12 (पीएल 245), वीएल मसूर 150 (वीएल 150) और पूसा अगेती शाम‍िल हैं. बीजजनित रोग से बचाव के लिए थीरम 2.5 ग्राम या जिंक मैग्नीज कार्बोनेट 3.0 ग्राम प्रति क‍िलोग्राम बीज की दर से बीज को बोने से पूर्व शोधित कर लेना चाहिए. 

क‍ितनी खाद लगेगी 

मसूर की फसल में उर्वरकों का प्रयोग म‍िट्टी की जांच के आधार पर करना चाहिए. सामान्य स्थ‍ित‍ि में मसूर की बुवाई से पूर्व 15-20 क‍िलोग्राम नाइट्रोजन, 20 क‍िलोग्राम पोटाश तथा 20 क‍िलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. यदि डीएपी उपलब्ध है, तो इसकी 100 क‍िलोग्राम तथा सल्फर 20 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें. सल्फर की आपूर्त‍ि 200 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर जिप्सम से भी की जा सकती है. यदि म‍िट्टी में नमी कम है तो खाद की मात्रा कम कर देनी चाहिए. 

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